सलाह सभी से फैसला अपने मन से

कोई बंजारा बैलो पर मुल्तानी मिटटी लादकर राजधानी की तरफ जा रहा था । रास्ते में कई जगह उसकी बहुत सी मिटटी बिक गई । बैलो की पीठ पर लदे बोरे आधे से ज्यादा खाली हो गए । खाली होने से वे बोरे बैलो की पीठ पर टिक नहीं रहे थे । नौकरो ने पूछा कि क्या करे ? बंजारा बोला , ‘ एक तरफ बोरो में रेत भर लो । यह रेतीली जमीन है , यहां रेत बहुत है ।’ नौकरो ने वैसा ही किया ।

तभी , दूसरी दिशा से एक व्यक्ति आ रहा था । उसने पूछा कि एक तरफ बोरो में रेत क्यों भर रहे हो ? नौकरो ने बताया संतुलन साधने के लिए । वह सज्जन बोले , बैलो को व्यर्थ ही बोझा लादकर मार रहेहो ! मिटटी वाले आधे -आधे दो बोरो को एक ही जगह बांध दो ।’ नौकरो ने कहा कि हम वही करेगे ,जो हमारा मालिक कहेगा । वह व्यक्ति मालिक से मिला और यही बात कही ।

बंजारे ने उसका नाम -पता पूछा । यह भी कि कहा जा रहे हो ? उस व्यक्ति ने बताया कि वह भवानीपुर गया था और बीमार हो गया । जो थोड़े रूपए उसने कमाए थे , वे भी खर्च हो गए । व्यापार में घाटा हो गया ।पास में कुछ रहा नही , तो सोचा कि घर चलना चाहिए । उसकी बात सुनकर बंजारा नौकरो से बोला कि इनकी बाते मत मानना । इनकी बुद्धि तो अच्छी दिखती है ,पर उसका नतीजा ठीक नही निकलता ।

बंजारा फिर राजधानी पहुंचा । वहां उसने मिटटी और रेत दोनों का अलग – अलग ढेर लगा दिया । मुल्तानी मिटटी बिकनी शुरू हो गई । उधर राजा बीमार हो गया । वैध ने सलाह दी कि रेत के टीले पर रहने से रोग ठीक हो सकता है । ऐसा ही किया गया । राजा के आदमियो ने बंजारे से सारी रेत खरीद ली । राजा कुछ ही दिनों में ठीक हो गया| साथियो ने बंजारे की तारीफ की कि उसकी समझ से ही फायदा हुआ ।
राजस्थानी लोककथा

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