सबसे बड़ा पुण्य

एक राजा बहुत बड़ा प्रजापालक था, हमेशा प्रजा के हित में प्रयत्नशील रहता था. वह इतना कर्मठ था कि अपना सुख, ऐशो-आराम सब छोड़कर सारा

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नारद की समस्या

एक बार देवर्षि नारद अपने पिता ब्रम्हा जी के सामने “नारायण-नारायण” का जप करते हुए उपस्थित हुए और पूज्य पिताजी को दंडवत प्रणाम किया ।

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चावल का दाना

शोभित एक मेधावी छात्र था। उसने हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में पूरे जिले में टॉप किया था। पर इस सफलता के बावजूद उसके

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ईश्वर दिखाई नहीं देता

आज हम एक महान संत से सम्बंधित एक प्रेरक प्रसंग आपसे साझा कर रहे हैं। तेरहवीं सदी में महाराष्ट्र में एक प्रसिद्द संत हुए संत

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चरित्र का मूल्य

एक राजपुरोहित थे। वे अनेक विधाओं के ज्ञाता होने के कारण राज्य में अत्यधिक प्रतिष्ठित थे। बड़े-बड़े विद्वान उनके प्रति आदरभाव रखते थे पर उन्हें

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पंचतंत्र की कहानी: शरारती बंदर

एक मंदिर का निर्माण किया जा रहा था। मंदिर में लकड़ी का काम बहुत था इसलिए लकड़ी चीरने वाले बहुत से मजदूर काम पर लगे

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Never lose hope

“Never lose hope, my dear heart, miracles dwell in the invisible.” — Rumi “कभी आशा मत खोना, मेरे प्रिय, चमत्कार अदृश्य में बसते हैं।” —

राजा महाराणा प्रताप

भारत के इतिहास में राजा महाराणा प्रताप का नाम अमर है। महाराणा प्रताप राजस्थान के शूरवीर एवं स्वाभिमानी राजा थे ।जयपुर के राणा मानसिंह ने

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कक्षीवान की पहेली

एक बार ऋषि कक्षीवान, प्रियमेध ऋषि के पास गए और बोले, `प्रियमेध, मेरी एक पहेली सुलझाओ । ऐसी कौन-सी वस्तु है जिसे जलानेपर प्रकाश उत्पन्न

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वाणी की देवी सरस्वती

ऐसा माiना जाता है की सृस्टि के प्रारंभिक निर्माड़ में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने मनुष्य के जीवन की रचना की, परंतु वह

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नंदी नंदीश्वर हो गए

पुराणों में यह कथा मिलती है कि शिलाद मुनि के ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश समाप्त होता देख उनके पितरोंने अपनी चिंता उनसे व्यक्त

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कंजूसी का परिणाम

जंगल में एक गीदड़ रहता था। वह बड़ा हीकंजूस था। वह अक्सर खाने में कंजूसी करता था। जितने शिकार से दूसरा गीदड़ दो दिन काम

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अर्जुन की प्रतिज्ञा

कुरुक्षेत्र में महाभारत का भीषण युद्ध कौरवों और पाण्डवों के मध्य चल रहा था । अर्जुनकी अनुपस्थितिमें कौरवों ने चक्रव्यूह की रचना की। किन्तु उसमें

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द्रोणागिरि पर्वत

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा चरित श्रीरामचरितमानस के अनुसार रावण के पुत्र मेघनाद व लक्ष्मण के बीच जब भयंकर युद्ध हो रहा था, उस समय मेघनाद ने

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भगवान परशुराम

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को भगवान परशुराम की जयंती मनाई जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी

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