महाकवि कालिदास राजा विक्रमादित्य के प्रमुख दरबारियों में से एक थे। एक बार राजा विक्रमादित्य ने महाकवि कालिदास से एक सवाल पूछा;
महात्मन आप इतने बड़े विद्धान हैं लेकिन आपका शरीर आपकी बुद्धि के अनुसार सुन्दर नहीं है। इसकी क्या वजह है?
कालीदास मुस्कराते हुए, चुप रहे और बात को उस समय टाल गए। कुछ दिन बाद महाराज ने अपने सेवक से पीने के लिए पानी मांगा।
सेवक कालिदास के निर्देशानुसार दो बरतनों में पानी ले आया।
एक बरतन सधारण मिट्टी का था तो दूसरा बहुमुल्य धातु का था। महाराज ने आश्चर्य से इस तरह पानी लाने की वजह पूछी तो कालीदास ने आग्रह कर उन्हें दोनों बरतनों से पानी पीने को कहा।
महाराज ने ऐसा ही किया।
पानी पीने के पश्चात कालिदास ने महाराज से पूछा, ” महाराज इन दोनों बरतनों में से किस बरतन का पानी ज्यादा शीतल लगा ?”
राजा विक्रमादित्य बोले “अवश्य मिटटी के बरतन का।”
कालिदास मुस्कराए और बोले, ” राजन जिस प्रकार पानी की शीतलता बरतन की सुन्दरता पर निर्भर नहीं करती उसी प्रकार बुद्धि की सुन्दरता शरीर की सुन्दरता पर निभ्रर नहीं करती।”
राजा को अपने सवाल का जबाब मिल चुका था।
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