दुःखी होकर उन्हीं के विषय में बातें कर रहे थे कि वहाँ पर लोमश ऋषि पधारे। धर्मराज युधिष्ठिर ने उनका यथोचित आदर-सत्कार करके उच्चासन प्रदान
Read full story...द्रोपदी स्वयंबर
स्वयंवर सभा में अनेक देशों के राजा-महाराजा एवं राजकुमार पधारे हुये थे। एक ओर श्री कृष्ण अपने बड़े भाई बलराम तथा गणमान्य यदुवंशियों के साथ
Read full story...महाभारत युद्ध की समाप्ति
दुर्योधन की प्राय सारी सेना युद्ध में मारी गयी थी। अन्ततोगत्वा उसका भीमसेन के साथ युद्ध हुआ। उसने पाण्डव-पक्ष के पैदल आदि बहुत-से सैनिकों का
Read full story...श्रीराम का जन्म
मां दुर्गा के प्रथम रुप शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्र शुरु हो गया है। नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के साथ ही
Read full story...राम का अनोखा न्याय
पुराणों में राम के बारे में एक बहुत ही सुंदर कहानी है। प्राचीन काल में इस देश के उत्तरी भाग में एक बहुत प्रसिद्ध मठ
Read full story...महाऋषि बाल्मिकी
महर्षि वाल्मीकि को प्राचीन वैदिक काल के महान ऋषियों कि श्रेणी में प्रमुख स्थान प्राप्त है। वह संस्कृत भाषा के आदि कवि और हिन्दुओं के
Read full story...भगवान राम और हनुमान जी
यह कहानी उस समय की है जब लंका जाने के लिए भगवान श्रीराम ने सेतु निर्माण के पूर्व समुद्र तट पर शिवलिंग स्थापित किया था।
Read full story...शृंग ऋषि और भगवान राम की बहन शांता
श्रीराम के माता-पिता, भाइयों के बारे में तो प्रायः सभी जानते हैं लेकिन बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि राम की एक बहन
Read full story...लक्ष्मी जी का वास
एक बार की बात है, राजा बलि समय बिताने के लिए एकान्त स्थान पर गधे के रूप में छिपे हुए थे। देवराज इन्द्र उनसे मिलने
Read full story...हनुमद रामायण
ऐसा माना जाता है कि प्रभु श्रीराम की रावण के ऊपर विजय प्राप्त करने के पश्चात ईश्वर की आराधना के लिये हनुमान हिमालय पर चले
Read full story...महाबली भीम
भीमसेन कुंती का दूसरा पुत्र था| इसका जन्म पवन देवता के संयोग से हुआ था, इसी कारण इसमें पवन की-सी शक्ति थी| इसके उदर में
Read full story...गड़गौर कथा
एक बार भगवान शंकर पार्वती जी एवं नारदजी के साथ भ्रमण हेतु चल दिए । वे चलते चलते चैत्र शुक्ल तृतीया को एक गाँव में
Read full story...महाऋषि वेदव्यास का जन्म
प्राचीन काल में सुधन्वा नाम के एक राजा थे। वे एक दिन आखेट के लिये वन गये। उनके जाने के बाद ही उनकी पत्नी रजस्वला
Read full story...किरात अर्जुन युद्ध
हिमालय की तराई में एक सघन वन था| वन में तरह-तरह के पशु-पक्षी रहते थे| वहीं जगह-जगह ऋषियों की झोंपड़ियां भी बनी हुई थीं| ऐसा
Read full story...कर्ण का जन्म
धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर के लालन पालन का भार भीष्म के ऊपर था। तीनों पुत्र बड़े होने पर विद्या-अध्ययन के लिए भेजे गए। धृतराष्ट्र बल
Read full story...लक्ष्मी जी की अंगूठी
एक निर्धन व्यक्ति था। वह नित्य भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करता। एक बार दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी की श्रद्धा-भक्ति से पूजा-अर्चना की।
Read full story...सृष्टि की रचना
उत्तराखंड में प्रचलित पौराणिक गाथा के अनुसार पृथ्वी में सर्वप्रथम निरंकार विद्यमान था। उनके द्वारा सोनी और जंबू गरुड़ की उत्पत्ति के पश्चात ही सृष्टि
Read full story...राजा पृथु
राजा पृथु एक सूर्यवंशी राजा थे, जो वेन के पुत्र थे। वाल्मीकि रामायण में इन्हें अनरण्य का पुत्र तथा त्रिशंकु का पिता कहा गया है।
Read full story...कृपाचार्य
कृपाचार्य महर्षि शरद्वान के पुत्र थे| महर्षि शरद्वान महर्षि गौतम के पुत्र थे, इसी कारण इनको गौतम भी कहते थे| वे धनुर्विद्या में पूर्ण पारंगत
Read full story...धनतेरस की कहानी
भारत त्यौहारों का देश है। विभिन्न त्यौहारों पर अलग-अलग पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. इसी प्रकार धनतेरस पर भी यमराज की एक कथा बहुत प्रचलित है।
Read full story...भाई दूज
भगवान सूर्यदेव की पत्नी का नाम छाया था । उसकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ । यमुना अपने भाई यमराज से बडा
Read full story...शुक्ल चतुर्थी का चंद्रमा
एक बार नंदकिशोर ने सनतकुमारों से कहा कि चौथ की चंद्रमा के दर्शन करने से श्रीकृष्ण पर जो लांछन लगा था, वह सिद्धि विनायक व्रत
Read full story...होलिका पूजन
लोगों के मन में एक प्रश्न रहता है कि जिस होलिका ने प्रहलाद जैसे प्रभु भक्त को जलाने का प्रयत्न किया, उसका हजारों वर्षों से
Read full story...माँ पार्वती की युक्ति
एक बार शिवजी और मां पार्वती भ्रमण पर निकले। उस काल में पृथ्वी पर घोर सूखा पड़ा था। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। पीने
Read full story...बसंत पंचमी को सरस्वती पूजन
सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की। अपनी सर्जना से वे संतुष्ट
Read full story...श्री राम की मृत्यु और हनुमान
भगवान श्री राम के मृत्यु वरण में सबसे बड़ी बाधा उनके प्रिय भक्त हनुमान थे। क्योंकि हनुमान के होते हुए यम की इतनी हिम्मत नहीं
Read full story...डाकू रत्नाकर बने वाल्मीकि
एक बार नारद जी घुमते हुए डाकू रत्नाकर के इलाके में पहुँचे। रत्नाकर ने उन्हें लूटने के लिये रोका। नारद जी बोले “भैया मेरे पास
Read full story...द्रोपदी का जन्म
पाण्डवों को एकचक्रा नगरी में रहते कुछ काल व्यतीत हो गया तो एक दिन उनके यहाँ भ्रमण करता हुआ एक ब्राह्मण आया। पाण्डवों ने उसका
Read full story...मकरध्वज की कहानी
पवनपुत्र हनुमान बाल-ब्रह्मचारी थे। लेकिन मकरध्वज को उनका पुत्र कहा जाता है। यह कथा उसी मकरध्वज की है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, लंका जलाते समय
Read full story...भगवान विष्णु का स्वप्न
एक बार भगवान नारायण वैकुण्ठलोक में सोये हुए थे। उन्होंने स्वप्न में देखा कि करोड़ों चन्द्रमाओं की कांतिवाले, त्रिशूल-डमरू-धारी, स्वर्णाभरण-भूषित, सुरेन्द्र-वन्दित, सिद्धिसेवित त्रिलोचन भगवान शिव
Read full story...द्रुपद से द्रोण का प्रतिशोध
जब पाण्डव तथा कौरव राजकुमारों की शिक्षा पूर्ण हो गई तो उन्होंने द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा देना चाहा। द्रोणाचार्य को द्रुपद के द्वारा किये गये
Read full story...धनुर्धर अर्जुन
अर्जुन कुंती का सबसे छोटा पुत्र था| इसके पिता का नाम पाण्डु था, लेकिन वास्तविक पिता तो इसका इंद्र था| पाण्डु रोगग्रस्त था और पुत्र
Read full story...बाल हनुमान
हनुमान जी के धर्म पिता वायु थे, इसी कारण उन्हे पवन पुत्र के नाम से भी जाना जाता है। बचपन से ही दिव्य होने के
Read full story...नवरात्रि की कथा
प्राचीन समय में राजा सुरथ नाम के राजा थे,राजा प्रजा की रक्षा में उदासीन रहने लगे थे,परिणाम स्वरूप पडौसी राजा ने उस पर चढाई कर
Read full story...कुरु का जन्म
कुरुवंश के प्रथम पुरुष का नाम कुरु था| कुरु बड़े प्रतापी और बड़े तेजस्वी थे| उन्हीं के नाम पर कुरुवंश की शाखाएं निकलीं और विकसित
Read full story...कुंती का त्याग
पाण्डव अपनी मां कुंती के साथ इधर से उधर भ्रमण कर रहे थे| वे ब्राह्मणों का वेश धारण किए हुए थे| भिक्षा मांगकर खाते थे
Read full story...निराला वरदान
गणेश जी विघ्न विनाशक व शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता हैं। अगर कोई सच्चे मन से गणोश जी की वंदना करता है, तो गौरी नंदन
Read full story...गंगा की जन्म कथा
ऋषि विश्वामित्र ने इस प्रकार गंगा की जन्म कथा सुनाना आरम्भ किया, “पर्वतराज हिमालय की अत्यंत रूपवती, लावण्यमयी एवं सर्वगुण सम्पन्न दो कन्याएँ थीं। सुमेरु
Read full story...कुबेर का अहंकार
यह एक पौराणिक कथा है। कुबेर तीनों लोकों में सबसे धनी थे। एक दिन उन्होंने सोचा कि हमारे पास इतनी संपत्ति है, लेकिन कम ही
Read full story...वीर युयुत्सु
धृतराष्ट्र के एक वैश्य वर्ण की पत्नी थी| उसी के गर्भ से युयुत्सु का जन्म हुआ था| युयुत्सु का स्वभाव गांधारी के सभी पुत्रों से
Read full story...