बालक ध्रुव

बालक ध्रुव की कथा का वर्णन श्रीमद्भागवत में मिलता है। उसके अनुसार ध्रुव के पिता का नाम उत्तानपाद था। उनकी दो पत्नियां थीं, सुनीति और

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बाल कृष्णा द्वारा राक्षसों का वध

देवकी और वसुदेव के विवाह के समय आकाशवाणी हुई थी कि देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाली आठवीं संतान कंस का वध करेगी। इसके

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परमज्ञानी अष्टावक्र

प्राचीन काल में कहोड नामक एक ब्राह्मण थे। उनकी पत्नी का नाम सुजाता था। समय आने पर सुजाता गर्भवती हुई। एक दिन जब कहोड वेदपाठ

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निष्कलंक महादेव

गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्तिथ है निष्कलंक महादेव। यहाँ पर अरब सागर की लहरें रोज़ शिवलिंगों

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शीतला माता मंदिर

राजस्थान के पाली जिले में हर साल, सैकड़ों साल पुराना इतिहास और चमत्कार दोहराया जाता है। शीतला माता के मंदिर में स्तिथ आधा फीट गहरा और इतना ही चौड़ा

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 मार्कण्डेय ऋषि

धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि अमर हैं। आठ अमर लोगों में मार्कण्डेय ऋषि का भी नाम आता है। इनके पिता मर्कण्डु ऋषि थे। जब मर्कण्डु ऋषि

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एकलव्य का वध

महाभारत काल मेँ प्रयाग के तटवर्ती प्रदेश मेँ सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य एकलव्य के पिता निषादराज हिरण्यधनु का था। गंगा के तट पर अवस्थित

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श्राई कोटि माता मंदिर

भारत में अनेकों ऐसे मंदिर है जो अपनी अनोखी परंपराओं के कारण प्रसिद्ध है। भारत में जहां किसी दंपती के एक साथ मंदिर में जाकर

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 शिव-पार्वती पुत्र था राक्षस अंधक

एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच गए। वहां पर भगवान शिव अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर करके बैठे थे।

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शनि शिंगणापुर

देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर।

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भगवान ब्रह्मा का कुल

ब्रह्मा हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। वे हिन्दुओं के तीन प्रमुख देवताओं (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) में से एक हैं। ब्रह्मा को सृष्टि का

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शिव मंदिर में नंदी क्यों

क्यों भगवान शिवजी की प्रतिमा के सामने ही नंदी जी की मूर्ति विराजित होती है शिलाद मुनि के ब्रह्मचारी हो जाने के कारण वंश समाप्त

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कैसे रघुवंशी राजा ने गर्भधारण कर पुत्र को जन्म दिया

भगवान श्री राम के मृत्यु वरण में सबसे बड़ी बाधा उनके प्रिय भक्त हनुमान थे। क्योंकि हनुमान के होते हुए यम की इतनी हिम्मत नहीं

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नारदजी का वानरमुख बना

पौराणिक काल का प्रसंग है देवर्षि नारद पृथ्वी लोक पर भ्रमण कर रहे थे भ्रमण करते -करते वो हिमालय पर्वत पर पहुंच गए उन्होंने एक

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श्रीकृष्ण का बालकालय में राक्षस वध

देवकी और वसुदेव के विवाह के समय आकाशवाणी हुई थी कि देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाली आठवीं संतान कंस का वध करेगी। इसके

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विक्रम और बेताल

बहुत पुरानी बात है। धारा नगरी में गंधर्वसेन नाम का एक राजा राज्य  करते थे। उसके चार रानियाँ थीं। उनके छ: लड़के थे जो सब-के-सब बड़े

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बालक ध्रुव

राजा उत्तानपाद की सुनीति और सुरुचि नामक दो भार्याएं थीं । राजा उत्तानपाद के सुनीतिसे ध्रुव तथा सुरुचिसे उत्तम नामक पुत्र हुए । यद्यपि सुनीति

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कर्ण की निष्ठा

एक राज पुत्र होते हुए भी कर्ण सूत पुत्र कहा गया। कर्ण एक महान दानवीर था। अपनें प्रण और वचन के लिए कर्ण अपनें प्राणों की

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भगवान श्री कृष्ण को देवी गांधारी का दिया हुआ शाप

कुरुक्षेत्र का युद्ध समाप्त हो चुका था। अधर्म का साथ देने वाले गांधारी के निन्यानवे पुत्र, और उनका सौवा पुत्र जो युद्धिष्ठिर, के पक्ष से

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“ सम्राट युद्धिष्ठिर ” द्वारा अपनी माता “देवी कुंती” और समस्त नारी जाती को दिया हुआ शाप

दुर्योधन का आखिरी महान योद्धा अंग राज कर्ण मारा जा चुका था । देवी कुंती अपनी आँखों में आँसू लिए कुरुक्षेत्र रण में आ पहुँचती

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असुरोंके विनाश हेतु सर्वस्वका त्याग करनेवाले ऋषि दधीचि !

बालमित्रो, प्राचीन कालमें वृत्रासुर नामका एक दैत्य बडा ही उन्मत्त हो गया था । अति बलवान होनेके कारण देवताओं को उसे हराना कठिन हो गया ।

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समर्पण

एक साधु द्वार-द्वार घूमकर भिक्षा मांग रहा था । वृद्ध तथा दुर्बल उस साधुको ठीकसे नहीं दिखाई देता था । वह एक मन्दिरके सामने खडा

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पवन पुत्र केसरी नन्दन हनुमान को बाल्य काल में मिला हुआ शाप

हनुमान बाल्यकाल में काफी नटखट थे। वह हंसी-खेल में ऋषि-मुनियों को खूब सताते थे। एक बार तो उन्होने सूर्य को अपने मुह में समा लिया

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हार-जीत का फैसला !

बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ मेँ निर्णायक थीँ- मंडन मिश्र

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एक ब्राह्मण के द्वारा अंग राज कर्ण को दिया हुआ शाप

एक दिन सूर्य पुत्र कर्ण शिकार खेलने गए थे। झाड़ियों के पीछे किसी हिंसक प्राणी की आशंका होने पर बिना पड़ताल किए ही कर्ण बाण

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राज कुमारी अंबा का भीष्म को दिया हुआ श्राप

काशी राज्य के राजा की तीन पुत्रियाँ अंबा, अंबिका, और अंबालिका का काशी में स्वयंवर हो रहा होता है। तभी वहाँ धनुष बाण लिए क्रोध

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श्रवण कुमार के अंधे माता-पिता और राजा दशरथ का दर्दनाक किस्सा

अपने दृष्टिहीन माता-पिता की प्यास बुझाने के लिए जब श्रवणकुमार नदी पर पानी भरने जाते हैं, तभी पास में अयोध्या नगरी के राजा दशरथ जंगल

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