एकान्त नहीं मिला

आचार्य उपकौशल को अपनी पुत्री के लिये योग्य वर की खोज थी। उनके गुरुकुल में कई विद्वान् ब्रह्मचारी थे, किन्तु वे कन्यादान के लिए ऐसे

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सेवा भाव की कसौटी

स्वामीजी का प्रवचन समाप्त हुआ। अपने प्रवचन में उन्होंने सेवा- धर्म की महत्ता पर विस्तार से प्रकाश डाला और अन्त में यह निवेदन भी किया

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सत्य ज्ञान के समन्वय में निहित

सम्राट ब्रह्मदत्त ने सुना कि उनके चारों पुत्र विद्याध्ययन कर लौट रहे हैं, तो उनके हर्षातिरेक का ठिकाना न रहा। स्वतःजाकर नगर- द्वार पर उन्होंने

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सबसे बड़ा पुण्यात्मा

काशी प्राचीन समय से प्रसिद्ध है। संस्कृत विद्या का वह पुराना केन्द्र है। इसे भगवान् विश्वनाथ की नगरी या विश्वनाथपुरी भी कहा जाता है। विश्वनाथजी

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ब्रह्मा जी के थैले

इस संसार को बनाने वाले ब्रह्माजी ने एक बार मनुष्य को अपने पास बुलाकर पूछा- ‘तुम क्या चाहते हो?’ मनुष्य ने कहा- ‘मैं उन्नति करना

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स्वामी जी का उपदेश

एक बार समर्थ स्वामी रामदासजी भिक्षा माँगते हुए एक घर के सामने खड़े हुए और उन्होंने आवाज लगायी। – “जय जय रघुवीर समर्थ !” घर

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सन्यासी की जड़ी बूटी

बहुत समय पहले की बात है , एक वृद्ध सन्यासी हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहता था। वह बड़ा ज्ञानी था और उसकी बुद्धिमत्ता की

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पत्थर की कीमत

एक हीरा व्यापारी था जो हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था, किन्तु गंभीर बीमारी के चलते अल्प आयु में ही उसकी मृत्यु हो

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क्रोध की अग्नि

बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ मे निर्णायक थी, मंडन मिश्र

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लाल बहादुर शास्त्री जी की सादगी

बात उन दिनों की है, जब लाल बहादुर शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के गृह मंत्री थे। बड़े पद पर पहुंच कर भी वह सादा जीवन

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शिल्पकार गुणीराम

पुराने समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक गरीब शिल्पकार रहता था। वह मूर्तियों का निर्माण करके, उन्हें गांव गांव बेचकर अपना

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कद्दू की तीर्थयात्रा

हमारे यहाँ तीर्थ यात्रा का बहुत ही महत्त्व है। पहले के समय यात्रा में जाना बहुत कठिन था। पैदल या तो बैल गाड़ी में यात्रा

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राजा सोलोमन और शिबा की कहानी

राजा सोलोमन अपने ज्ञान के लिए जाना जाता था। शिबा की रानी उसके ज्ञान की परिक्षा लेना चाहती थी। एक दिन वह अपने दोनो हाथो

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