चापलूसों से बचो

बहुत पुरानी बात है| एक कौआ भोजन की तलाश में इधर उधर भटक रहा था| परंतु, उसके हाथ कुछ न लगा| वह थका मांदा एक पेड़ पर जा बैठा| तभी उसे कुछ दूर एक रोटी पड़ी दिखाई दी। अरे वाह! किस्मत हो तो ऐसी वह तुरंत रोटी के पास पहुँचा, उसने अपनी चोंच से उसे उठा लिया और उड़ने लगा| बहुत से कौवे उसके पीछे पीछे उड़ने लगे| वो भी रोटी को उससे छीनना चाहते थे| वो सबको चकमा देने में कामियाब हो गया और एक पेड़ की शाखा पर जा कर बैठ गया और रोटी को खाने लगा। तभी कहीं से एक लोमड़ी वहाँ से गुज़र रही थी| लोमड़ी ने कौवे की चोंच में रोटी को देखा तो उसके मुँह में पानी आ गया| उसने जल्द ही कौवे से उसकी रोटी अपने कब्ज़े में लेने की योजना बनाई और उसने कौवे की ओर देखा और बोली – “अरे कौवे भाई, तुम कितने खूबसूरत हो”। मैं एक भोली – भाली लोमड़ी हूँ| मेरी सहेलियों ने मुझे बताया है कि तुम्हारी आवाज़ में एक ग़ज़ब की मिठास है | क्या यह बात सही है? ” कौआ यह सुन कर हैरान रह गया – आज तक तो किसी ने उसकी आवाज़ की तारीफ़ नहीं की थी| परंतु वह चुप रहा| “ कौवे भाई, अपने मधुर आवाज़ में क्या तुम मुझे एक गाना नही सुनाओगे | ” परंतु अभी भी वह मौन था| लोमड़ी फिर बोली – “क्या तुम अपनी प्यारी बहन की इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकते?” “ तुम कितने सुंदर हो, तुम्हारे पंखों का तो कहना ही क्या | मेरे लिए एक गाना गाओ न कौवे भैया |” कौआ उसके झाँसे में आ गया| उसने अपनी चोंच खोली और लगा – कांव कांव करने| अरे, यह क्या, रोटी उसकी चोंच से निकली और ज़मीन पर आ गिरी | लोमड़ी ने झट से उसे झपट लिया और खा गयी| लेकिन जब तक कौवे को समझ में आता कि क्या हुआ, लोमड़ी वहाँ से चल दी| कौआ उदास हो गया| अब पछताए क्या होत, जब चिड़िया चुग गयी खेत|

तभी तो कहते है – चापलूसों से बचो, इनका विश्वास नहीं करना चाहिए|

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