अफीफा चौथी क्लास में पढ़ती थी। उसकी अम्मी नाहिदा उससे बहुत परेशान थीं। अफीफा अपना कोई भी सामान संभाल कर नहीं रखती थी। एक दिन तो अफीफा ने लापरवाही से अपनी प्यारी डॉल को इतनी बुरी तरह पटका कि वह टूट गई। वह गुड़िया अफीफा को उसके मामूजान ने सऊदी अरब से लाकर दी थी।
नाहिदा अफीफा के कमरे में गईं तो वहां पर उन्होंने उस डॉल को टूटा हुआ जमीन पर पड़ा पाया। यह देखकर वे बोलीं, ‘बेटा, यह क्या है? यह तो तुम्हारी सबसे प्यारी डॉल थी। तुमने आज इसे भी तोड़ दिया। अब तुम्हें तब तक कुछ नहीं दिलाऊंगी, जब तक कि तुम छोटे से छोटे सामान की कद्र करना नहीं सीख जाओगी।’ अफीफा पर अम्मी की बातों का कोई असर नहीं पड़ा। उसे मालूम था कि अम्मीजान उसे बहुत प्यार करती हैं, इसलिए वे उसकी गलती को थोड़ी देर बाद ही भूल जाती हैं।
20 मार्च को अफीफा का जन्मदिन पड़ता था । इस बार उसके अम्मी-अब्बू ने उससे वादा किया था कि वे उसे जन्मदिन पर एक सुंदर सी साइकिल देंगे। अफीफा का जन्मदिन आने में केवल दो दिन रह गए, पर अम्मी-अब्बू न ही उसके जन्मदिन की कोई प्लानिंग कर रहे थे और न ही उससे कोई बात। इससे उसे बहुत हैरानी हुई। आखिर वह अब्बू की गोद में जाकर बैठ गई और बोली, ‘अब्बू, क्या आपको याद नहीं कि मेरा जन्मदिन आने वाला है।’
अब्बू बोले, ‘हां बेटा, बिल्कुल याद है। भला हम अपनी लाडो का जन्मदिन कैसे भूल सकते हैं?’ अफीफा बोली, ‘फिर आप और अम्मी मुझसे मेरे जन्मदिन के बारे में कोई बात क्यों नहीं कर रहे हैं? अब तो मेरे पेपर भी खत्म हो गए।’ अब्बू बोले, ‘बेटा, इस बारे में तो तुम्हारी अम्मी ही बताएंगी। तुम्हें पता है कि सारी तैयारी वही करती हैं।’
यह सुनकर अफीफा दौड़कर अम्मी के पास गई और बोली, ‘अम्मी, परसों मेरा जन्मदिन है। आप और अब्बू इस बार मुझे वह साइकिल देंगे, जो तेज स्पीड से भागती है।’ उसकी बात सुनकर अम्मी मुस्करा दीं और बोलीं, ‘बेटा, अभी जन्मदिन में टाइम है । मुझे परेशान मत करो। काम करने दो।’ आखिर 20 मार्च का दिन भी आ गया, लेकिन घर में बिल्कुल शांति थी। शाम को न घर सजा था और न ही कोई चहल-पहल थी। यह देखकर अफीफा अम्मी से बोली, ‘अम्मी, क्या आज आप मेरा जन्मदिन भूल गई हैं।’
यह सुनकर अम्मी बोलीं, ‘नहीं बेटा, दरअसल आज हम तुम्हारा जन्मदिन बाहर मनाएंगे।’ यह जानकर तो अफीफा खुशी से उछल पड़ी और कुछ ही देर में सुंदर सी ड्रेस पहनकर आ गई। तब तक अफीफा के अब्बू भी आ गए थे। अफीफा और अब्बू तैयार होकर गाड़ी में बैठ चुके थे। अफीफा बेसब्री से बोली, ‘अम्मी, जल्दी आओ न। आप बहुत देर लगा रही हैं।’ नाहिदा अपने साथ एक बड़ा सा बैग लेकर आईं। अफीफा बोली, ‘अम्मी, इस बैग में क्या है?’ नाहिदा बोलीं, ‘बेटा, इसमें तुम्हारे वे खिलौने हैं, जिनका तुमने ध्यान नहीं रखा और उन्हें तोड़-मरोड़कर अपने टॉय बॉक्स से निकाल दिया है।’
यह सुनकर अफीफा हैरानी से बोली, ‘वो तो ठीक है, लेकिन आप अभी इन्हें इकट्ठा करके कहां ले जा रही हैं? क्या आप इन्हें बाहर डस्टबिन में फेकेंगी ।’ इस पर नाहिदा बोली, ‘बेटा, तुम देखती रहो कि मैं इन खिलौनों का क्या करूंगी?’ कुछ ही देर बाद उनकी गाड़ी एक ऐसी बस्ती के पास रुकी, जहां पर बड़े मैले-कुचैले कपड़ों में बच्चे घूम रहे थे। कुछ बड़े एक रोटी के लिए आपस में लड़ रहे थे तो एक बच्चा दूसरे से टॉफी छीनने की कोशिश कर रहा था। यह देखकर अफीफा बोली, ‘अब्बू, आपने यहां गाड़ी क्यों रोक दी?’
अब्बू बोले, ‘बेटा, आज हम तुम्हारा जन्मदिन यहीं मनाएंगे।’ यह सुनकर अफीफा बोली, ‘अब्बू, यह क्या, आपने तो मेरे जन्मदिन का दिन बेकार ही कर दिया।’ नाहिदा बोलीं, ‘नहीं बेटा, तुम गलत कह रही हो।’ इसके बाद अब्बू ने बड़ा सा केक गाड़ी से निकाला और अफीफा ने बुझे मन से उस केक को काटा। अब्बू और अम्मी ने उस केक के साथ ही चॉकलेट व अन्य सामान कागज की प्लेट में रखकर बस्ती के बच्चोंं को बांटा। बस्ती के बच्चों की आंखों में खुशी की चमक आ गई।
इसके बाद अम्मी ने अफीफा के पुराने खिलौने उन बच्चों को बांटने शुरू किए। सभी बच्चे टूटे-फूटे खिलौनोंं को लेकर बहुत खुश हुए। फटा सा फ्रॉक पहने हुए एक लड़की के हाथ में अफीफा की पुरानी डॉल झूम रही थी। वह लड़की उस डॉल को गले लगाते हुए बोली, ‘मैं इसे बहुत संभालकर रखूंगी। मैंने आज तक इतनी सुंदर डॉल नहीं देखी।’ कुछ देर बाद गाड़ी वापस घर की ओर मुड़ गई। अफीफा बिल्कुल चुप थी। नाहिदा समझ गईं कि उनकी नन्हीं अफीफा को थोड़ी बहुत समझ आ गई है ।
घर में घुसते ही अफीफा ने अपने बिखरे खिलौनों को समेटा, अपनी किताबों को बैग में रखा और उदास सी किचन की ओर चल दी। वहां वह यह देखकर हैरान रह गई कि एक ओर अम्मी केक के साथ ही कई व्यंजन बना रही थीं तो दूसरी ओर किचन के बाहर एक सुंदर सी साइकिल खड़ी थी। यह देखकर अफीफा की आंखों में खुशी के आंसू आ गए। वह रोते हुए बोली, ‘अम्मी-अब्बू, आज से मैं छोटे से छोटे सामान को भी संभालकर रखूंगी। हर चीज की इज्जत करूंगी।’ यह सुनकर नाहिदा की आंखों में भी आंसू आ गए। वह बोलीं, ‘लगता है आज मेरी अफीफा को अक्ल आ गई है।’ इसके बाद अफीफा अपनी साइकिल की ओर मुड़ गई।
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