पुराने समय की बात है एक बार एक राज्य में पक्षियों का राजा कौवा था और वो घने पेड़ पर अपनी रानी के साथ रहा करता था | वह अपनी रानी से बहुत प्यार करता था और इसी वजह से उसकी ख़ुशी के लिए वो बहुत कुछ किया करता था| एक दिन दोनों घूमने के लिए महल की और उड़ चले और राज्य के राजा के महल के ऊपर की और से गुजरे| वंहा स्वादिष्ट मछली देखकर रानी के मुह में पानी आ गया लेकिन महल की कड़ी सुरक्षा और पहरेदारी के बीचे कुछ भी कर पाना मुमकिन नहीं था इसलिए रानी मन मसोस कर रह गयी | और वो वापिस अपने घोंसने में आ गये |
अगले दिन राजा कौवे ने अपनी रानी से कहा चलो प्रिये बहुत भूख लगी है इसलिए चलो भोजन की तलाश में चलते है | इस पर रानी ने कहा मुझे तो उसी महल का स्वादिष्ट भोजन चाहिए नहीं तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगी | राजा कौवा सोच में पड़ गया कि अब क्या किया जाये |
इतने में सेनापति कौवा आया और राजा को दुविधा में देखकर बोला कि क्या बात है आप इतने चिंतित क्यों लग रहे है इस पर राजा कौवे ने उसे अपनी समस्या बतलाई तो सेनापति ने कौवे ने उसे दिलासा दिया और उदास नहीं होने को कहा | सेनापति कौवे ने राजा से कहा चाहे कुछ भी हो जाये वो अपनी रानी की इच्छा को जरुर पूरा करेंगे | कहकर वो उड़ गया |
थोड़ी देर बाद आठ होशियार कौवो को लेकर कौवा सेनापति महल में पहुंचा और अपने साथियों को योजना समझा दी | जैसे ही एक नौकर राजा के महल के गलियारे से भोजन की थाली लेकर गुजरा तो सेनापति कौवे ने उसके सिर में चोंच मारकर भोजन की थाली नीचे गिरा दी | जैसे ही ये हुआ उनमे से चार कौवे चावल और बाकि के चार मछली को अपनी चोंच में दबाकर योजना के मुताबिक उड़ गये लेकिन सेनापति कौवा पकड़ा गया | सेनापति कोवे को जरा भी दुःख नहीं हुआ और वो सोचने लगा कि चलो मेरा तो कुछ भी हो लेकिन रानी की इच्छा तो पूरी हो गयी |
सेनापति कौवे को पकड़कर महल के राजा के पास ले जाया गया तो राजा ने उस से सवाल किया कि उसने ये अपराध क्यों किया और अपनी जान क्यों खतरे में डाली तो सेनापति कौवे ने उत्तर दिया महाराज मैं तो अपना कर्तव्य निभा रहा था | हमारी रानी को आपके इस भोजन की इच्छा थी तो मेने उन्हें वचन दिया था कि मैं आपके लिए ये करूँगा इसलिए मेने अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए अपना वचन निभाया है अब आप जो चाहे सज़ा मुझे दे सकते है मैं आपके सामने प्रस्तुत हूँ |
इस पर महल के राजा ने कहा -ऐसे स्वामिभक्त कौवे को तो पुरस्कार मिलना चाहिए …सज़ा नहीं | ऐसा कहकर उसने सेनापति कौवे को वचन दिया कि तुम्हारी स्वामिभक्ति को देखते हुए मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ इसलिए आज से महल में जो भी खाना बना करेगा उसमे से तुम्हारे राजा और रानी के लिए भी भेजा जायेगा और तुम्हारी प्रजा के लिए भी अतिरिक्त चावल की व्यवस्था भी महल की और से की जायेगी |
सेनापति कौवा राजा को प्रणाम करके अपने राजा के पास पहुँच गया |