एक गांव था जिस में एक भोला नाम का एक किसान रहता था जो अपने खेतों में बहुत मेहनत किया करता था उसके पास जमीन भी अच्छी खासी थी। परन्तु उसके खेतों के बीचो -बीच पत्थर का एक हिस्सा जमीन में बाहर की तरफ़ निकला हुआ था जिसकी ठोकर से उसे कई बार नुक्सान उठाना पड़ता था कभी उस पत्थर की बजय से उसे चोट लग जाती और कभी कभार तो उसके औज़ार भी टूट जाते थे। परन्तु वो इतनी हिम्मत नहीं कर पाता था के वो उस पत्थर को उस जगह से हटाकर एक तरफ़ कर सके।
एक दिन किसान रोजाना की तरह अपने खेतों में काम कर रहा था के अचानक किसान का हल उस पत्थर से ज़ोर से टकरा गया और उसका का हल टूट गया और उसे उस दिन तो पत्थर पर बहुत गुस्सा आया। भोला अब मन ही मन सोच रहा था के आज तो वो इस पत्थर को बाहर निकाल कहीं फेंक देगा।
वह तुरंत अपने खेत से गांव में चला गया और वहां से उसने 5 -6 अपने साथी मित्रों को बुला लाया और उनसे अपने खेत के पत्थर को हटाने की गुजारिस की अंत में वो सभी को लेकर खेत में पहुंचा
किसान ने अपने मित्रों से कहा इस पत्थर ने पिछले कुछ सालों से मेरा बहुत नुक्सान किया है और आज हम सभी को साथ में मिलकर इस चट्टान को जमीन से बाहर निकालना है और इसे सही ठिकाने लगाना है।
ऐसा बोलते ही भोला किसान अपने फावड़े से पत्थर की किनारों पर वार करने लगा और यह क्या हुआ सभी देख चौंक गए के चार -पांच फावड़े मारे ही थे के पूरा का पूरा पत्थर जमीन से बाहर आ गया और पास खड़े लोगों ने भोला किसान से हंसते -हंसते कहा क्यों भाई तुम तो कहते थे की बहुत बड़ी चट्टान दबी है मेरे खेत में परन्तु यह तो एक मामूली सा पत्थर निकला।
भोला किसान भी यह देखकर हैरान था के जिस पत्थर को वो बड़ी चट्टान मान रहा था वो तो एक छोटा सा पत्थर था अब भोला के चेहरे पर पछतावे की झलक थी वो अब मन ही मन पछता रहा था के काश ! उसने इस मामूली से पत्थर को पहले निकालने का प्रयास किया होता और उसे हर वार इतना नुक्सान नहीं उठाना पड़ता और उसके मित्रों के बीच उसका मज़ाक नहीं बनता।
Share with us :हममे से जाने कितने लोग अपनी जिन्दगी में आने वाली मुश्किलों को बड़ा समझ कर उसे वहीँ छोड़ देते हैं और उसे एक बार भी करने का प्रयास नहीं करते और हार मान लेते हैं। जरूरत इस बात की है कि हम बिना हौंसला गवाएं इन मुश्किलों से लड़ें और जिस वक्त हम ऐसा करने लगेंगे तो उस चट्टान सी दिखने वाली समस्या एक छोटे से पत्थर के समान दिखने लगेगी।