दोस्ती का फर्ज

सफेद चूहा चुनमुन पूरे जंगल में घूमता रहता था। वह हमेशा हर किसी की मदद के लिए तैयार रहता था। वह बहुत ही प्यारा और समझदार था। नंदनवन के सभी चूहे तो उसे प्यार करते ही थे, दूसरे जानवरों को भी उससे लगाव था। इतना ही नहीं, वह आस-पास के दूसरे जंगलों में रहने वाले जानवरों का भी चहेता था। कहीं भी कोई मुसीबत में होता तो सबसे पहले चुनमुन को याद करता। किसी को कोई राय लेनी होती तो वह चुनमुन को बुलाता। किसी के घर में बर्थडे, मुंडन या शादी होती तो भी सबसे पहला निमंत्रण चुनमुन को ही जाता।

बुद्धिमान होने के साथ ही उसका स्वभाव भी अच्छा था, जिस वजह से सब उसे इतना पसंद करते थे। इतनी खूबियों वाले और सबके प्यारे चुनमुन में एक कमी थी, वह यह कि वह कभी भी किसी के भी साथ शरारत कर बैठता था। जब उसके दिमाग में शरारत करने की बात आती तो वह उसके बुरे परिणामों के बारे में नहीं सोचता था। ऐसे ही एक दिन गर्मी की एक दोपहर में चुनमुन चूहा मूवी देखकर आ रहा था। गर्मी तेज होने की वजह से जंगल के सारे जानवर अपने-अपने घरों में थे। जंगल सूना-सूना सा लग रहा था। तभी चुनमुन की नजर पेड़ के नीचे सोए हुए शेर पर पड़ी और उसी वक्त उसके दिमाग में एक शरारत आ गई।

वह यह भी भूल गया कि वह शेर से पंगा लेने जा रहा है। उसने सोए हुए शेर के पेट में जोर से चिकोटी काटी और छुप गया। शेर को पेट पर कुछ हरकत सी महसूस हुई तो उसने लेटे-लेटे ही पेट की तरफ देखा। जब उसे कुछ नहीं दिखाई दिया तो वह फिर सो गया। जब शेर दोबारा सो गया तो चुनमुन चूहा फिर आया और शेर के पेट पर गुदगुदी करके फिर छुप गया। इस बार शेर की नींद कुछ टूट चुकी थी। उसे अपने पेट पर फिर कुछ हलचल सी महसूस हुई तो उसने अपने पेट पर और फिर दाएं-बाएं देखा, पर उसे फिर भी कुछ नहीं दिखा। थक-हार कर वह फिर सो गया।

अब तो चुनमुन बार-बार ऐसा करने लगा और शेर को परेशान करके मजे लेने लगा।बार-बार ऐसा होने पर शेर की नींद पूरी तरह टूट गई। इतना तो वह समझ चुका था कि कोई उसके साथ मजाक कर रहा है। पर कौन? ऐसा कौन है, जो शेर के साथ मजाक करने की हिम्मत कर सकता है? शेर ने सोचा कि अगर मुझे पता चल जाए कि यह गुस्ताखी करने वाला कौन है तो उसे पकड़कर कच्चा ही खा जाऊंगा।

शेर सोचने लगा कि शरारत करने वाले को कैसे पकडूं? थोड़ी देर सोचने के बाद उसके दिमाग में आखिर एक तरकीब आ ही गई। वह झूठमूठ सोने की एक्टिंग करने लगा। चुनमुन ने सोचा शेर फिर सो गया है। वह चुपके से निकला और शेर के पेट पर जैसे ही गुदगुदी करना शुरू किया, वैसे ही उसके मुंह से आवाज निकली,‘अरे बाप रे, मर गया! क्योंकि वह शेर के पंजों में कैद था।

वह छटपटाने लगा और बचने के उपाय सोचने लगा। शेर बोला,‘क्या तुझे मेरे साथ मजाक करने में बिल्कुल भी डर नहीं लगा कि अगर मैंने तुझे पकड़ लिया तो तू जान से जाएगा? और मारना क्या है! तुझे तो मैं यूं ही खा लेता हूं।’ यह कहकर शेर ने चुनमुन को खाने के लिए अपना बड़ा सा मुंह फैला दिया। यह देखकर चुनमुन को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह फटाफट बोला,‘शेरजी-शेरजी, रुकिए जरा, आई एम सॉरी। मैं अपने कान पकड़ता हूं। आगे से ऐसी गलती नहीं होगी। प्लीज मुझे छोड़ दो। मुझे  खाकर तो आपका पेट भी नहीं भरेगा। लेकिन अगर मैं जिंदा रहा तो शायद मैं आपके किसी काम आ जाऊं ।’

शेर को पता नहीं क्यों, उसकी डरी हुई छोटी-छोटी आंखों को देखकर दया आ गई। शेर बोला,‘मैंने तुम्हारे बारे में सुन रखा है कि तुम सबकी मदद करते हो। सिर्फ यही वजह है कि मैं आज तुम्हें छोड़ रहा हूं। पर प्रॉमिस करो कि कभी भी किसी को तंग नहीं करोगे और अपने से बड़ों के साथ परेशान करने वाला कोई मजाक नहीं करोगे।
यह सुनते ही चुनमुन ने अपने कान पकड़ लिए और बोला,‘बिल्कुल शेरजी!’ उसे ऐसा करते देख शेर को हंसी आ गई। इसके बाद शेर ने उसकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए कहा,‘फ्रेंड्स! चलो, आज से हम दोस्त हुए।’

चुनमुन यह सुनकर बहुत खुश हुआ और उसके बाद तो वह हर रोज शेर के साथ उसकी पीठ पर बैठकर जंगल में घूमने लगा। दोनों खूब बातें करते। शेर को भी चुनमुन बहुत अच्छा लगने लगा। अगर वह किसी दिन नहीं आता तो शेर उदास हो जाता।

इसी बीच एक बार रात के वक्त शेरसिंह के घर का एसी खराब हो गया। ऐसे में वह अपने घर के बाहर आकर सो गए। उस रात जंगल में शिकारी आए हुए थे। जब उन्होंने खुले में बेसुध सोते शेर को देखा तो तुरंत ही जाल डालकर उसे कैद कर लिया। इसके बाद उसे बेहोश करके गड्ढे में डाल दिया। शिकारियों ने तय किया कि अगली सुबह शेर को जीप में डालकर ले जाएंगे। जब शेर की बेहोशी टूटी तो उसने खुद को जाल में फंसा और गड्ढे में गिरा देखकर समझ लिया कि शिकारियों ने उसे पकड़ लिया है, और हो न हो वे शहर जाकर उसे किसी सर्कस में बेचने वाले हैं। तभी उसे अपने दोस्त चुनमुन की याद आई और उसने जोर-जोर  से दहाड़ना शुरू कर दिया,‘चुनमुन बचाओ! चुनमुन बचाओ!’

चुनमुन ने जैसे ही शेर की आवाज सुनी वह समझ गया, कि उसका दोस्त शेर सिंह मुश्किल में फंस गया है। वह शेर की आवाज की दिशा की ओर दौड़ा। वहां जाकर उसने देखा कि उसका दोस्त जाल में फंसा हुआ है। यह देखकर वह बोला,‘घबराओ मत दोस्त, अब मैं आ गया हूं। तुम्हें यहां से बचाकर ले जाऊंगा। यह मेरा प्रॉमिस है।’ इतना कहने के बाद वह सोचने लगा कि शेर को कैसे बचाया जाए।

उसने सबसे पहले अपने सभी कबूतर दोस्तों को बुलाया और कहा,‘फटाफट सबसे पहले हाथी भैया को रस्सी देकर भेजो, उसके बाद जंगल के सभी चूहों को फटाफट यहां पर भेजो। सबसे कह देना कि चुनमुन ने अर्जेंट बुलाया है।’ ‘ठीक है चुनमुन भैया, हम तुरंत निकलते हैं। इतना बोलकर कबूतर चारों दिशाओं में उड़ चले। दस-पंद्रह मिनट बाद ही हाथी भैया रस्सी लेकर पहुंच गए और बोले, ‘बोलो चुनमुन क्या काम है?’ चुनमुन बोला,‘हाथी भैया, मेरे दोस्त शेर को इस गड्ढे से निकालना है।’

‘ठीक है, तुम गड्ढे के अंदर जाकर रस्सी जाल में कस कर बांध दो। मैं उसे ऊपर खींच लूंगा।’ चुनमुन ने ऐसा ही किया और कुछ ही देर बाद शेर सिंह को जाल समेत गड्ढे से बाहर निकाल लिया गया। तब तक वहां पर हजारों चूहे आ चुके थे। चुनमुन ने उन सभी से कहा,‘जल्दी से जाल को कुतरो, ताकि शिकारियों के आने से पहले ही हम अपने दोस्त शेर सिंह को आजाद करवा सकें।

सभी चूहे फटाफट अपने पैने दांतों से जाल को कुतरने लगे और सुबह होने से पहले ही उन्होंने सारा जाल कुतर डाला। शेर आजाद हुआ तो सबने देखा कि उसकी आंखों में आंसू थे। वह चुनमुन के गले लगकर रो पड़ा और बोला,‘आज मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि मैंने तुम्हें उस दिन मारा नहीं और अपना दोस्त बना लिया। एक दिन मैंने तुम्हारी जान बख्शी थी और आज तुमने मेरी जान बचाकर अपना फर्ज निभाया। थैंक्यू दोस्त! चुनमुन के सारे दोस्तों को भी थैंक्यू!’

यह सुनकर चुनमुन बोला,‘दोस्त होकर क्या आप यह भी नहीं जानते कि दोस्ती का एक उसूल होता है। दोस्ती में नो सॉरी, नो थैंक्यू।’ चुनमुन के ऐसा कहते ही शेर समेत सारे जानवर मुस्कराने लगे

Share with us : Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *