दुश्मन हमारे बीच ही छुपे होते हैं

बहुत पुराने समय की बात है  एक गाँव में एक पेड़ पर कौवा और हंस रहते थे। एक बार गर्मी का दिन था। एक थका हुआ शिकारी उस पेड़ के नीचे आराम करने के लिए रुका। वो बड़े आराम से उस पेड़ की छाया के नीचे सो रहा था। कुछ देर बाद उस शिकारी के मुख से छाया चली गई उसके चेहरे पर तेज़ धुप आ गई थी।

सूर्य की तेज़ धुप को देखकर पेड़ पर बैठे हंस को उस पर दया आ गई उसने अपने पंखों को पूरी तरह फ़ैलाकर उस आदमी के मुख पर छाया कर दी। छाया होने पर वो आदमी बड़ा आनंद महसूस कर रहा था उसने अचानक अपना मुंह खोला और सोता रहा।

उस पेड़ पर बैठा बुरी दृष्टि बाला कौवा यह सब कुछ देख रहा था उससे हंस की यह नम्रता देखी नहीं गई उसने पेड़ के नीचे आराम कर रहे व्यक्ति के मुंह पर बीठ कर दी और वहां से उड़ गया। परन्तु हंस को उस काले दुष्ट कौवे की हरकत का पता ही ना चला। बीठ गिरते ही वो आदमी नींद से जाग गया इसने देखा की हंस उस पेड़ की टहनी पर अपने पंख फैलाये बैठा था उसे लगा की जरूर इसने ही उसके मुंह पर बीठ की है उसने उस हंस की तरफ तीर चला दिया हंस को तीर लगते ही वो वहीँ मर गया।

इसीलिए बच्चों यह कहानी हमें यही शिक्षा देती है की  हमें अपने दुश्मनों से  सचेत रहना चाहिए कई बार दुश्मन हमारे बीच ही छुपे होते हैं और हमें उनका पता ही नहीं चलता |

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