सर्वप्रथम पूजा सम्मान

एक बार देवताओ में इस प्रसन पर बहश हो गयी की सर्वप्रथम किसकी पूजा होनी चाहिए। सभी देवता यह गौरब खुद लेना चाहते थे। अतः कोई निष्कर्ष न निकलते देख सभी देवता परम पिता ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और पूरी बात बताई। परम पिता ब्रह्मा जी ने सभी देवताओ से कहा -“जो देवता सबसे पहले सारे संसार का एक चक्कर लगा कर मेरे पास सबसे पहले पहुंचेगा। वह इस सम्मान का हक़दार होगा।” यह सुनते ही सभी देवता संसार का एक चक्कर लगाने के लिए भाग पड़े। सभी अपने अपने वाहनो से जाने लगे। सबको जाता देख गणेश जी सोच में पण गए की -” मेरा वहां तो चूहा है अगर में उससे संसार का चक्कर लगाउँगा तो कभी समय से नही पहुँचूगा। यह सोच कर वह थोड़ा रुके फिर सीधे कैलाश की और भागे और सीधे अपनी माता पिता के पास पहुंचे। भगवान शिव तप में लीन थे और माता उनके बगल में बिराजमान थी। उन्होंने अपनी माता -पिता के एक नही सात चक्कर लगाये और भागते हुए सीधे ब्रह्मा जी के पास पहुंचे। गणेश ब्रह्मा जी के पास सबसे पहले पहुंचे थे। तब तक और देवता भी गणेश जी के बाद आगये। और फिर ब्रह्मा जी ने कहा सबसे पहले गणेश जी हमारे पास वापस आये इस लिए यह सम्मान गणेश जी को मिलना चाहिए। यह सुन कर सभी देवता एक साथ बोले मेने तो इन्हे कही भी संसार का चक्कर लगते नही देखा जरूर इसने कुछ छल किया होगा। और देवता गणेश को विरोध करने लगे। तब परम पिता ब्रह्मा जी बोले -” गणेश ने सच में संसार का चक्कर नही लगाया है किन्तु जितने समय में तुमने एक चक्कर लगाया उतने समय में गणेश जी ने इस ब्रह्मांड के सात चक्कर लगये है। क्योकि स्वयं भगवान शिव इस ब्रह्मांड के रचियता है इस लिए गणेश जी ने अपने माता पिता के सात चक्कर लगाये और मेरे पास सबसे पहले आये।” यह सुनकर सभु देवता शांत हो गए और सभी ने सर्व प्रथम पूजा का अधिकार गणेश जी को प्रदान किया। और तबसे गणेश जी की पूजा सबसे पहले होने लगी।

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