मेंढक और दो मछलियां

एक तालाब में दो मछलियां रहती थी और उसी तालाब में एक मेंढक रहता था उनकी आपस में  बहुत  गहरी दोस्ती थी। वो ज्यादातर समय इक्कठे ही तालाब में बिताते थे।एक दिन दोनों मछलियाँ और मेंढक तालाब में इधर -उधर खाने की तलाश कर रहे थे। तभी अचानक उन्होंने कुछ मछुआरों को तालाब की तरफ आते हुए देखा। उनके पास एक बड़ा सा जाल था। तालाब के नजदीक आते ही उन्होंने देखा के तालाब में बहुत सारी मछलियां हैं। उनमे से एक मछुआ ने कहा दोस्त आज तो बहुत शाम हो चुकी है इसीलिए हम इस तालाब से कल सुबह मछली पकड़ने के लिए आएंगे। दूसरा मछुआ इस बात से सहमत हो गया।

मेंढक ने उन मछुआरों की बातों को ध्यान से सुना और उसने अपनी दोस्त मछलियों से कहा हमें जल्दी से जल्दी इस तालाब को छोड़ देना चाहिए नहीं तो यह मछुआरे हमें कल सुबह पकड़ लेंगे।हमें इसकी कोई चिंता नहीं है पहली मछली ने कहा वो तो मछुआरे बस ऐसे ही बातें कर रहे थे वो कल नहीं आएंगे। इसके बावजूद अगर वो आते भी हैं तो में अपने आप को बचा सकती हूं। इसके बाद दूसरी मछली ने कहा मुझ में इतना हुनर तो है कि में उन मछुआरों की पकड़ से बच सकूं। में अपने आप को बचा सकती हूँ और में इस तालाब को कभी नहीं छोडूंगी।

पर मेंढक अभी भी उन दोनों मछलियों की बातों से सहमत नहीं था। उसने मछलियों से कहा ठीक है दोस्तों में तुम्हारी तरह बहादुर और बुद्धिमान तो नहीं हूँ मुझे तो बस इतना मालूम है की  कल इस जगह खतरा होगा अगर तुम इस तालाब को छोड़ना नहीं चाहती हो तो में और मेरी पत्नी तो चले तो चले  इस तालाब को छोड़कर।अगली सुबह दोनों मछुआरे आए और उन्होंने पूरे तालाब में जाल बिछा दिया। उन्होंने बहुत सारी मछलियां और केकड़ों को पकड़ा। तालाब में रहने वाली उन दो मछलियों ने अपने -आप को बचाने की पूरी कोशिश की पर वो शिकारी के जाल से नहीं  बच पाई। जैसे ही उन मछुआरों ने जाल को तलाब से बाहर निकाला कुछ देर बाद उन दोनों मछलियों की मौत हो गई।

जबकि उनके दोस्त मेंढक ने एक अच्छा और सुरक्षित तालाब ढूंढ लिया था। बाद में जब मेंढक ने तालाब से बाहर निकलकर देखा तो दोनों मछलियाँ मछुआरों के जाल में मरी पड़ीं थी। उसे यह देखकर बहुत अफ़सोस हुआ वो मन ही मन सोच रहा था  काश इन्होने मेरी बात को मान लिया होता।

जब हमें किसी से जान का खतरा महसूस हो तो उससे दूरी बनाए रखने में ही भलाई होती है।

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