छपड़ के मेंढक और सांप

एक छपड़ में बहुत सारे मेंढ़क ख़ुशी – ख़ुशी रहते थे। उस छपड़ के किनारे एक बहुत बड़ा पेड़ था एक दिन उस पेड़ के नीचे एक बहुत बड़ा सांप आकर रहने लगा। मौका मिलते ही वो छपड़ के कुछ मेंढकों को खा जाता। जिसकी वजय से छपड़ में से मेंढ़कों की गिनती कम हो रही थी और जिसकी छपड़ वाले मेंढ़क सांप के डर से छपड़ से बाहर भी नहीं आ पाते थे। उनके छपड़ के नजदीक ही एक और छपड़ था जिसमे भी बहुत सारे मेंढ़क रहते थे।

एक दिन दुसरे छपड़ वाला बूढ़ा मेंढ़क बड़े पेड़ वाले तालाब की तरफ़ भोजन की तलाश में आया। बूढ़ा मेंढ़क की छपड़ में जाने की इच्छा हुई जैसे ही वो छपड़ में गया बड़े पेड़ वाला मेंढ़क उसके पास आया। उसने अपनी सारी आप बीती उस बूढ़े मेंढ़क को बताई के कैसे एक बड़ा सांप उनके लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है। उसने बूढ़े मेंढ़क से मदद मांगी। बूढ़े मेंढ़क ने उस मेंढ़क की बात को ध्यान से सुना और धीरज रखने को कहा।

बूढ़े मेंढ़क ने कहा के उसके छपड़ के पास एक नेवला रहता है। जो उसका मित्र है। वो उसको यहाँ पर लेकर आयेगा यो उस सांप को सबक सिखाएगा। इस वायदे के साथ वो मेंढ़क वहां से चला गया। अपने छपड़ के पास पहुँचते ही बूढ़े मेंढ़क ने समस्या अपने मित्र नेवला को बताई। नेवला ने भी उन मेंढ़कों की मदद करने का वायदा किया।

बूढा मेंढ़क अपने मित्र नेवला को लेकर उनकी मदद के लिए चल पड़ा । उनकी उम्मीद में बैठे उस छपड़ वाले मेंढ़क उनको देखते ही बहुत खुश हुए। नेवला ने उस बड़े पेड़ के नीचे जाकर सांप को ललकारा तु मेरे मित्रों को मारता हैं बाहर आ आज तुझे सबक सिखाता हूँ। यह सुनते ही पेड़ में छुपा सांप बाहर आ जाता  है  नेवला ने सांप के बाहर आते ही उससे कहा कि तु मेरे साथी मेंढ़कों को मार डालता हैं अगर तुमने आगे से मेरे मित्रों को मारा तो में तुझे मार दूंगा। सांप ने नेवला को लड़ाई के लिए ललकारा दोनों के बीच काफ़ी समय तक लड़ाई चलती रही आखिरकार सांप को नेवला की ताकत के आगे झुकना ही पड़ा उसने अपनी हार मान ली और नेवला से माफ़ी मांगी और आगे से भी मेंढ़क को न मारने का वचन दिया और उस पेड़ को छोड़कर वहां से चला गया।

नेवला की ताकत आगे सांप की मजबूरी को देखकर सभी मेंढ़कों ने नेवला को झुक कर प्रणाम किया।

Share with us : Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *