एक कंजूस व्यक्ति था जिसका नाम फकीरचंद था। एक दिन फकीरचंद नारियल खरीदने शहर गया। उसने नारियल वाले से नारियल के भाव पूछा तो नारियल वाला बोला -” दस रुपए का एक नारियल।” इस पर फकीरचंद बोला -” में तो इसके सिर्फ आठ रूपए दूंगा।”
नारियल वाला बोला-” यहाँ तो नही पर एक मील आगे जाने पर तुम्हे ये नारियल आठ रुपए का मिल जाएगा।” फकीरचंद ने सोचा रुपये बड़ी मेहनत से कमाया जाता है। इस लिए में एक मील आगे जाकर ही नारियल ले आता हू। फकीरचंद जब आगे पंहुचा तो उसने एक दुकान पर नारियल बिकते देखा तो उसने पूछा-” भाई नारियल कितने का है।”
नारियल वाला बोला-” आठ रुपए का एक”
तो फकीरचंद बोला – “में तो इसके सिर्फ छे रुपए ही दूंगा।”
नारियल वाला बोला -” यहाँ तो नही पर अगर आप एक मील आगे गए तो आपको यह नारियल छे रुपए का मिल सकता है।” फकीरचंद तो बहुत कंजूस था वह फिर से आगे बढ़ गया। और आगे जाने पर उसने एक दुकान पर जब नारियल का भाव पूछा तो नारियल वाला बोला-“छे रुपए का एक। ”
फकीरचंद फिर से बोला -” में तो इसके केवल चार रुपए ही दूंगा। ” नारियल वाला बोला -“यहां तो नही मगर वहां सामने समुद्र किनारे जो पेड़ लगे है वह आपको चार रुपए में भी नारियल मिल जायेगा।” फकीरचंद ने समुद्र की और देखा और सस्ते नारियल लेने के लिए चल दिया। जब वह वहां पहुंचा तो वह एक व्यक्ति खड़ा था।
उसने उससे नारियल के भाव पूछे तो वह बोला -” चार रुपए का एक नारियल।”
इस पर कंजूस व्यक्ति बोला -” में तो इसके दो रुपए दूंगा ” उसकी बात सुन
वह व्यक्ति बोला -” अगर तुम उस पेड़ पर चढ़ कर खुद नारियल तोड़ते हो तो तुम्हे वो नारियल दो रुपए का मिल जायेगा।” कंजूस ख़ुशी ख़ुशी उस पेड़ पर चढ़ गया और एक नारियल तोड़ने लगा। नारियल तो तोड़ लिया पर पकड़ कमजोर होने के कारण उसका पैर फिसल गया और वह पेड़ से निचे आगिरा। उसकी पैर की एक हड्डी टूट गयी और बहुत से जखम हुए। फकीरचंद को एक नारियल के लिए बस इतनी ही कीमत चुकानी पड़ी।
Share with us :सीख– दोस्तों अत्याधिक लालच करना बहुत बुरी बात है। हमें लालच नही करना चाहिए।