गुरुभक्त आरुणि

महाभारत के अनुसार आयोदधौम्य नाम के एक ऋषि थे। उनके एक शिष्य का नाम आरुणि था। वह पांचालदेश का रहने वाला था। आरुणि अपने गुरु की हर आज्ञा का पालन करता था। एक दिन गुरुजी ने उसे खेत की मेढ़ बांधने के लिए भेजा। गुरु की आज्ञा से आरुणि खेत पर गया और मेढ़ बांधने का प्रयास करने लगा। काफी प्रयत्न करने के बाद भी जब वह खेत की मेढ़ नहीं बांध पाया तो मेढ़ के स्थान पर वह स्वयं लेट गया ताकि पानी खेत के अंदर न आ सके।
जब बहुत देर तक आरुणि आश्रम नहीं लौटा तो उसके गुरु अपने अन्य शिष्यों के साथ उसे ढूंढते हुए खेत तक आ गए। यहां आकर उन्होंने आरुणि को आवाज लगाई। गुरु की आवाज सुनकर आरुणि उठकर खड़ा हो गया। जब उसने पूरी बात अपने गुरु को बताई तो आरुणि की गुरुभक्ति देखकर गुरु आयोदधौम्य बहुत प्रसन्न हुए और उसे सारे वेद और धर्मशास्त्रों का ज्ञान हो जाने का आशीर्वाद दिया।

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