मैं हूँ सिकंदर

सिकंदर जब भारत की और आ रहा था तब उसे रस्ते में एक फ़क़ीर मिला। सिकंदर को देख कर वह फ़क़ीर अनदेखा करता रहा। इस पर सिकंदर ने सोचा यह तो मेरा अपमान कर रहा है। और वह उस फकीर से मिलने गया और फ़कीर से कहा “या तो तुम मुझे जानते नहीं हो या फिर तुम्हारी मौत आई है ” जानते हो मैं कौन हूँ | मैं हूँ सिकंदर महान |

इस पर फ़कीर और भी जोर जोर से हंसने लगा। उसने सिकंदर से कहा मुझे तो तुम में कोई महानता नजर नहीं आती मैं तो तुम्हे बड़ा दीन और दरिद्र देखता हूँ तो सिकंदर ने उस से कहा तुम पागल हो गये हो मैंने पूरी दुनिया को जीत लिया है तो इस पर उस फ़कीर ने कहा ऐसा कुछ नहीं है तुम अभी भी साधारण ही हो फिर भी तुम कहते तो मैं तुमसे एक बात पूछता हूँ कि मान लो तुम किसी रेगिस्तान मे फंस गये और दूर दूर तक तुम्हारे आस पास कोई पानी का स्त्रोत नहीं है और कोई भी हरियाली नहीं है जन्हा तुम पानी खोज सको तो तुम एक गिलास पानी के लिए इस राज्य में से क्या दे दोगे |
सिकंदर ने कुछ देर सोच विचार किया और उसके बाद बोला कि मैं अपना आधा राज्य दे दूंगा तो इस पर फ़कीर ने कहा अगर मैं आधे राज्य के लिए न मानू तो सिकंदर ने कहा इतनी बुरी हालत में तो मैं अपना पूरा राज्य दे दूंगा | फ़कीर फिर हंसने लगा और बोला कि तेरे राज्य का कुल मूल्य है ” बस एक गिलास पानी ” और तू ऐसे ही घमंड से चूर हुआ जा रहा है | वक़्त पड़ जाये तो एक गिलास पानी के लिए भी तेरा राज्य काफी नहीं होगा फिर रेगिस्तान में चिल्लाना खूब महान सिकंदर महान सिकंदर रेगिस्तान में कोई नहीं सुनेगा सारी महानता बस एक भ्रम है |

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