झूठ बोलने की सजा

लिटलू पूरे घर में चहकती फिर रही थी। उसका भाई चिटलू हर साल की तरह अपने हॉस्टल से  होली मनाने के लिये घर जो आ रहा था। उसके साथ उनकी बुआ का बेटा अंश और बेटी आरूही भी आ रही थी। उसके मम्मी-पापा भी बहुत खुश थे क्योंकि चिटलू, अंश और आरूही हर साल जब भी घर पर आते, पूरा घर उनकी प्यारी बातों और शरारतों से गुलजार हो उठता। जिस दिन चिटलू, अंश और आरूही को आना था, उस दिन लिटलू भी पापा के साथ उन्हें लेने रेलवे स्टेशन पहुंची। ट्रेन से उतरते ही चिटलू ने लिटलू की चोटी खींची। लिटलू बोली,‘ क्या भाई, आते ही शरारत शुरू?’ और सब हंसने लगे। इसके बाद सब एक-दूसरे से मिले। वापस लौटते समय रास्ते में गाड़ी रोककर लिटलू-चिटलू के पापा ने बर्फी और रसमलाई खरीदी क्योंकि चारों बच्चों को मिठाइयां बहुत पसंद थीं।

घर वापस आकर चिटलू बहुत खुश था। उसके आने की खबर सुनकर उसके सभी दोस्त उससे मिलने आए। चिटलू की मम्मी ने सबको बर्फी  खिलाई और बची हुई मिठाई फ्रिज में रख दी। सुबह जब मम्मी ने रसोई में काम करते समय फ्रिज खोला तो मिठाई का डिब्बा खुला हुआ पाया। उसमें बर्फी भी कम लग रही थी। मम्मी ने चिटलू, अंश, आरूही और लिटलू से पूछा कि क्या किसी ने रात को और बर्फी खाई थी? सभी बच्चों ने मना कर दिया।

दोपहर को अंश, आरूही, लिटलू , चिटलू ने लंच करने के बाद बड़े चाव से रसमलाई खाई। रसमलाई के दो पीस बच गये जिन्हें  लिटलू की मम्मी ने फ्रिज में रख दिया। शाम को लिटलू की मम्मी ने फ्रिज खोला तो फिर से एक रसमलाई गायब थी। उसी वक्त लिटलू पानी पीने आई तो मम्मी को सोच में डूबे हुए देखा। उसने पूछा,‘मम्मी, आप कुछ परेशान लग रही हैं। मुझे बताइए। शायद मैं आपकी मदद कर सकूं।’

मम्मी ने झिझकते हुए कहा,‘लिटलू, तुम्हें याद है, मैंने तुमसे पूछा था कि चिटलू के दोस्तों के जाने के बाद क्या किसी ने फ्रिज से निकाल कर और मिठाई खाई थी। तुम सबने मना कर दिया था। अब फिर किसी ने फ्रिज में से रसमलाई निकाल कर खाई है।  कहीं तुमने तो नहीं खाई?’ ‘नहीं मम्मी ! पर अब मैं पता लगाकर ही रहूगीं कि वो कौन है, जो अपने ही घर में झूठ बोल रहा है? अब आप परेशान बिलकुल मत हो।’ यह कहने के बाद लिटलू ने सबके साथ मूवी देखने जाने का कार्यक्रम बनाया।

मूवी देखने के बाद लिटलू ने मम्मी से रसगुल्ले लेने के लिये कहा। घर आकर सबने खाना खाया, रसगुल्ले खाए और मजे किए। जब सब सो गए, तो लिटलू ने  रसगुल्ले गिनकर फ्रिज में रख दिए और खुद छिपकर निगरानी करने लगी। एक घंटा बीता, दो घंटे बीते। तभी लिटलू ने देखा कि दो परछाइयां रसोईघर की तरफ जा रही थीं। उन्होंने फ्रिज खोला और दो-दो रसगुल्ले मुंह में डालकर वापस चली गयीं।

मम्मी देखना, आज फिर चार रसगुल्ले कम होंगे। मम्मी ने रसगुल्ले गिने तो उनमें से चार कम निकले। फिर लिटलू ने मम्मी को मिठाई चोर के बारे में बता दिया और साथ ही उसकी आदत छुड़वाने के लिये एक प्लान भी। लिटलू ने दो किलो जलेबी मंगवाई। उस दिन सबने नाश्ते में दूध-जलेबी खाई। दोपहर को उसने हलवा बनवाया। चिटलू बोला, ‘क्या मम्मी, सुबह जलेबी और अब हलवा। रात को प्लीज कुछ चटपटा बनाना, नहीं तो मैं पागल हो जाऊंगा’ ‘हां मामीजी प्लीज’अंश ने भी कहा। चिटलू बोला,‘मैं और अंश मैच खेलने जा रहे हैं। हमें देर हो जाएगी।’

रात को जब वे लौटे तो उन्होंने देखा कि सारे लोग सांभर-चावल खा रहे थे। जैसे ही चिटलू और अंश ने अपने खाने की थाली पर ढंकी प्लेट हटाई, तो उन्होंने देखा उसमें मीठे चावल परोसे गए थे। मीठा देखते ही उनका जी खराब होने लगा। चिटलू ने कहा, ‘मम्मी, हमें भी सांभर चावल खाने को दो। मीठा तो देखने का भी जी नहीं कर रहा।’ इस पर मम्मी बोलीं, ‘आज से इन दोनों को नाश्ते में, लंच में और डिनर में मीठा ही मीठा मिलेगा, क्योंकि यह मीठा ही इनकी कमजोरी है जो इनसे न केवल चोरी करवाता है बल्कि झूठ भी बुलवाता है। यही इनकी सजा भी है।’ इतना सुनते ही दोनों को अपनी गलती का अहसास हो गया। उन्होंने सबसे माफी मांगी और प्रॉमिस भी किया कि अब मिठाई के लालच में वो कभी झूठ नहीं बोलेंगे

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