एक शहर में एक सर्कस लगा उसमे एक जोकर भी था एक बार जोकर ने सर्कस मे आये लोगो को एक चुटकुला सुनाया। चुटकुला सुनकर लोग खूब जोर-जोर से हंस रहे थे और तालिया बजा रहे थे। जोकर सबका मनोरंजन बहुत अच्छे से कर रहा था। कुछ देर बाद जोकर ने वही चुटकुला दुबारा सुनाया । अबकी बार कम लोग हंसे । जोकर ने थोडा और समय बीतेने के बाद तीसरी बार भी वही चुटकुला सुनाना शुरू किया ।
पर इससे पहले कि वो अपनी बात ख़त्म करता बीच में ही एक दर्शक बोला, ” अरे भाई! कितनी बार एक ही चुटकुला सुनाओगे…. कुछ और सुनाओ अब इस पर हंसी नहीं आती। “
जोकर थोड़ा गंभीर उस दर्शक को धन्यवाद देते हुए बोला , ” भाई साहब , यही तो मैं भी कहना चाहता हूँ…. जब ख़ुशी के एक कारण की वजह से आप लोग बार- बार खुश नहीं हो सकते तो दुःख के एक कारण से बार-बार दुखी क्यों होते हो , भाइयों हमारे जीवन में अधिक दुःख और कम ख़ुशी का यही कारण है…की हम ख़ुशी को आसानी से जाने देते हैं पर दुःख को पकड़ कर बैठे रहते हैं … “
मित्रो इस बात का आशय यह है कि जीवन मे सुख-दुःख का आना-जाना लगा रहता है ।पर जिस तरह एक ही खुशी को हम बार बार नही महसूस करना चाहते उसी तरह हमें एक ही दु:ख से बार-बार दुखी नहीं महसूस करना चाहिए । जीवन मे सफलता तभी मिलती है जब हम दु:खो को भूलकर आगे बढने का परयत्न करते है ।
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