राजा और मकड़ी

बहुत पुराने समय की बात है  एक बार दो राजाओ के बीच युद्ध हुआ। एक राजा दूसरे राजा पर भारी पड़ने लगा। दुश्मनों की विशाल सेना ने दूसरे राजा की सेना को हरा दिया क्योंकि उसके पास सेना बहुत कम थी आखिरकार मजबूर होकर उस सेना के राजा को युद्ध के मैदान से अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। पराजित राजा अपनी जान बचाने के लिए नजदीक के ही एक जंगल में जा छुपा। उस जंगल में एक गुफ़ा थी जिसमे उसने अपनी जान बचाने के लिए उस गुफ़ा में शरण ली। दूसरा विजय राजा उसका अभी भी पीछा कर रहा था उसके सिपाही उस पराजित राजा को ढूंढ रहे थे।

वो राजा कुछ दिनों तक उसी गुफ़ा में रहा उसे लग रहा था की  शत्रु अभी भी उसे ढूंढ रहे होंगे। एक सुबह वो पराजित राजा गुफ़ा में लेटा हुआ था अचानक उसकी नजर एक मकड़ी पर पड़ी वो छोटी सी मकड़ी गुफा की छत पर जाला बनाने की कोशिश कर रही थी परन्तु जाला बुनते – बुनते जाले का एक धागा टूट जाता और वो मकड़ी नीचे गिर पड़ती परन्तु वो मकड़ी फिर छत पर चली जाती और फिर जाला बुनने में लग जाती जाला फिर टूट जाता ऐसा कई बार होता रहा परन्तु मकड़ी ने हार नहीं मानी वो जाला बुनने में लगी रही वो बार – बार कोशिश करती रही। आखिरकार मकड़ी जाला बुनने में सफ़ल हो ही गई उसने अब अपना पूरा जाला तैयार कर लिया था। राजा भी इस घटना को लगातार देखता रहा और उसने मन ही मन सोचा यह छोटी सी मकड़ी जाला बुनने में असफ़ल होती रही परन्तु उसने कोशिश करना नहीं छोड़ा वो लगातार जाला बुनने में लगी रही। में तो फिर भी एक राजा हूँ इससे कहीं बड़ा हूँ मैंने प्रयास करना कैसे छोड़ दिया। मुझे फिर से कोशिश करनी चाहिए। उसने दुश्मनों के हाथों अपनी हार का बदला लेने का निश्चय किया।

आखिरकार राजा जंगल से बाहर निकला और उसने फिर से सेना को तैयार करना शुरू कर दिया। उसने अपने राज्य के लोगों को इक्कठा किया और उन्हें युद्ध की कला सिखलाई दी। कुछ महीनो के बाद अब उस राजा के पास एक शक्तिशाली सेना तैयार हो गई थी। उसने पूरी ताकत के साथ शत्रुओं पर हमला कर दिया। उस राजा की सेना बहुत बहादुरी से लड़ी आखिरकार उनकी युद्ध में जीत हुई अब उस राजा को उसका राज्य वापिस मिल गया था। राजा उस जीत के बाद मकड़ी बाली घटना को कभी नहीं भूल पाया जिससे उसे एक सबक मिला था।

कोशिश करने बालों की कभी हार नहीं होती है।

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