धन और संतोष प्रेरक बाल कहानी

एक गांव में एक व्यक्ति रहता था जिसके पास पुश्तैनी दौलत थी। इतना ज्यादा धन -दौलत होने के बावजूद भी उसे संतोष नहीं था। किसी जरूरतमन्द या गरीब की सहायता करना तो दूर वो तो खुद भी अच्छे से खाता -पीता नहीं था। उसकी पत्नी अक्सर उसे समझाया करती थी के पैसा जोड़ने की बजाय थोड़ा अपनी सेहत पर भी ध्यान दो। जरूरतमंदों की मदद किया करो उनकी दुआओं से तुम ख़ुश रहा करोगे और लक्ष्मी माता भी हमसे ख़ुश होकर हमेशा हमारे साथ रहेगी। परन्तु वो तो लालची इंसान था वो तो ज्यादा से ज्यादा धन बचाने की कोशिश में लगा रहता और अपनी पत्नी की एक नहीं सुनता था।

उसे हमेशा एक बात की चिंता लगी रहती थी अगर कोई उसका धन चुराकर ले गया तो वो क्या करेगा। एक दिन वो धन की बड़ी सारी पोटली बांध कर रात को चुपचाप गड्डा खोद उसमे दबा आया। अब वो व्यक्ति रोज़ाना उस जगह जाता और उसे देख आता। पडोस के गांव का एक चोर रोज़ाना उस गांव में आया करता था इस चोर ने उस लालची व्यक्ति को इसी जगह आकर एक निश्चित स्थान पर आंख को गडाए रोजाना देखा करता था। इसके बाद एक दिन उसे यह समझते हुए देर नहीं लगी के जरूर इस स्थान पर कोई कीमती वस्तु दबी हुई हैं। अगले दिन वो चोर उस व्यक्ति के आने से पहले ही उस स्थान पर आ पहुंचा उसने उस जगह पर खुदाई कर वो धन की पोटली निकाल ली। जल्दबाजी में चोर उस गड्डे को खुला छोड़कर वहां से भाग गया।

सुबह होते ही जब वो व्यक्ति अपने घर से अपने गढ़े हुए धन की जगह पर पहुंचा तो वो गड्डे को खोदा हुआ देख उसके होश उड़ गए। उसका सारा धन लूट लिया गया था। वो व्यक्ति अपना माथा पीट -पीट कर रोने लगा। कुछ देर बाद उसकी पत्नी भी वहां पर पहुंची जैसे उसको सारी घटना के बारे में पता चला उसने समझाते हुए अपनी पति से कहा धन तो पहले भी आपके काम न आया था और न ही आपके जीवन में काम आ सकता था। क्योंकि आपने तो सारा धन एक ही जगह टिका रखा था। अब पछताने का कोई फायदा नहीं अब यो धन तुम्हारे पास बचा है उसे अच्छे कार्यों में लगाओ।

मित्रो धन का लालची इंसान आखों से अंधा बन जाता है उसे धन के सिबाए कुछ दिखाई नहीं देता जरूरत से ज्यादा धन आपके जीवन को नष्ट कर देता है

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