मूर्ख राजा

प्राचीन काल की बात है। मिस्त्र के किसी गांव में कराकौश नामक एक चोर रात में एक घर में चोरी करने गया। वह खिड़की के पास जाकर उसे तोड़ने की कोशिश करने लगा। खिड़की कमजोर थी, इस कारण वह एक ही झटके में उसके पैरों पर गिर पड़ी। चोर चीखता चिल्लाता वापस लौट आया।

दूसरे दिन लंगड़ाता हुआ वह चोर राज दरबार में पहुंचा और राजा से बोला, ”महाराज! मैं एक चोर हूं। कल मैं एक घर में चोरी करने गया, लेकिन उस मकान की खिड़की को मैंने जैसे ही धक्का दिया, वह टूट कर मेरे पैरों पर गिर पड़ी। मेरा पैर टूट गया।

राजा सनकी था। उसने कहा, ”सैनिकों! तुरंत उस मकान के मालिक को पकड़कर हमारी सेवा में हाजिर करो। ताकि उसे उसके किए की सजा दी जा सके।“

सैनिक तुरंत मकान मालिक सरीसाना को बिना कसूर बताए राजा के पास ले आए। राजा क्रोधित होकर बोला, ”तुमने ऐसा मकान क्यों बनवाया, जिसकी खिड़की पर हाथ रखते ही वह गिर पड़ी और बेचारे कराकौश का पैर टूट गया।“

यह सुनते ही सरीसाना घबरा गया। उसे कोई जवाब न सूझा, मगर फिर वह संयत होकर बोला, ”महाराज! इसमें मेरा कोई कसूर नहीं। सारा कसूर बढ़ई का है, जिसने ऐसी खिड़की बनाई। मैंने तो खिड़की बनाने के लिए उसे अच्छी सामग्री दी थी।“

इतना सुनते ही राजा ने अपने सैनिकों से कहा, ”जाओ, उस बढ़ई को पकड़ लाओ।“

सैनिक बढ़ई को पकड़ लाए। बढ़ई डर से कांपता हुआ राजा के समक्ष पहुंचा। राजा गुर्राया, ”क्यों रे बढ़ई, जब सरीसाना ने तुम्हें अच्छी सामग्री दी थी तो तुमने खिड़की खराब क्यों बनाई। हाथ लगते ही वह गिर पड़ी और कराकौश लंगड़ा हो गया।“

बढ़ई ने भी चतुराई दिखाई और बोला, ”महाराज! इसमें मेरा कोई दोष नहीं है। दोष उस सुंदरी का है, जो लाल घाघरा पहन वहां से गुजर रही थी। मैं उसे देखने लगा और कील गलत लग गई।“

राजा ने पुनः आदेश दिया, ”सैनिकों! उस लड़की को तुरंत हमारे समक्ष प्रस्तुत किया जाए।“

लड़की के आते ही राजा गुस्से से बोला, ”सुंदरी! तुम लाल घाघरा पहनकर उस जगह से क्यों गुजरीं, जहां वह बढ़ई काम कर रहा था। तुम्हें देखने के कारण इसने कील गलत जगह लगा दी और खिड़की गिरने से कराकौश का पैर टूट गया।“

सुंदरी बोली, ”महाराज, मुझे यह सुंदर रूप तो भगवान ने दिया है। लेकिन इतना अच्छा घाघरा रंगरेज ने तैयार किया है।“

राजा ने सैनिकों की ओर देखा। सैनिक समझ गए और तत्काल रंगरेज को घसीटकर दरबार में ले आए। राजा ने रंगरेज से कहा, ”तुमने इस सुंदरी के घाघरे को इतना अच्छा क्यों बना दिया कि लड़की की सुंदरता बढ़ गई। इस कारण बढ़ई उसे देखने लगा और कील गलत जगह लग गई। फलस्वरूप कराकौश लंगड़ा हो गया। इसलिए तुम्हें फांसी की सजा दी जाती है।“

बेचारा रंगरेज गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन मूर्ख राजा न माना। सैनिक उसे फांसीगृह ले गए। सैनिकों ने देखा रंगरेज काफी लंबा है और फांसी का दरवाजा छोटा है इस कारण इसे फांसी के फंदे पर लटकाना कठिन था। वह राजा के पास गए और अपनी समस्या बताई। राजा सनकी तो था ही, बोला, ”हमारा फैसला अटल है। अगर यह रंगरेज लंबा है तो किसी छोटे रंगरेज को पकड़कर उसे फांसी दे दी जाए।“

यह सुनते ही सैनिक एक छोटे रंगरेज को ढूंढ़ कर लाए और उसे फांसी पर लटका दिया।

Share with us : Facebooktwitterredditpinterestlinkedinmail

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *