नन्हा परिंदा

बहुत समय पहले की बात है के एक बहुत बड़ा और घना जंगल  था। गर्मियों के दिन थे जंगल में जानवरों की पहल कदमी हो रही थी। अचानक ही आग से जलती अंगारी जंगल में जा गिरी और जंगल में भयानक आग लग गई। जंगल के सभी जानवर जंगल में अपनी जान बचाने के लिए इधर – उधर भागने लगे।

आग के कारण  पूरे जंगल में भगदड़ मच गई जंगल के सभी जानवर अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रहे थे। उस जंगल में पेड़ पर एक नन्हा परिंदा रहा करता था जब उसने देखा की  पूरे जंगल में आग लग गई है और उसने जंगल के सभी जानवरों और लोगों को आग से भयभीत होकर दौड़ते  हुए देखा तो उस नन्हे परिंदे ने उन सब की मदद करने का निश्चय किया।

मदद के इरादे से वो जल्दी ही पास की एक नदी में गया और उसने अपनी चोच में पानी भर लिया और जंगल की आग में डालने लगा। वो बार – बार नदी में जाता और नदी से अपनी चोंच में पानी भरता और जंगल में आकर आग में डाल देता। नदी के पास एक पेड़ पर बैठा एक कौवा यह सब कुछ देख रहा था और उसने पास से गुजरते परिंदे को बोला तुम कितने मूर्ख हो इतनी भयानक आग को चोंच में पानी भरकर कैसे बुझाया जा सकता है। तुम इस आग को कभी नहीं बुझा सकते ।

यह सुनते ही उस नन्हे परिंदे ने बड़ी ही निम्रता से उतर दिया मुझे यह पता है के मेरी इस कोशिश से कुछ भी नहीं होने वाला है परन्तु में अपनी तरफ़ से हर संभव कोशिश करना चाहता हूं आग कितनी भी ज्यादा हो पर में अपनी कोशिश करना नहीं छोडूंगा कौवा उस नन्हे परिंदे की बात से बहुत प्रभावित हुआ।

दोस्तों इस कहानी से हमें यही शिक्षा मिलती है के मुश्किल कितनी भी बड़ी हो हमें कभी भी हौंसला नहीं खोना चाहिए हमें बिना डरे लगातार अपने काम में जुटे रहना चाहिए।

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