एकलव्य की गुरुदक्षिणा

एकलव्‍य एक बहादुर बालक था। वह जंगल में रहता था। उसके पिता का नाम हिरण्‍यधनु था। एकलव्‍य को धनुष-बाण बहुत प्रिय था। लेकिन जंगल में

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उचित श्रद्धा हो और सद्भाव

एक दिन राजा ने प्रसंगवश मंत्री से पूछा कि मंत्री महोदय हमारी एक शंका का निवारण कीजिये कि बिना श्रद्धा के कोई भी मंत्र फल

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गीदड़ और हाथी

ब्रह्मवन में एक कर्तिल नामक हाथी था। जो बड़ा ही ताकतवर, उदंडी और मंदबुद्धि था। वह अपने सामान किसी को नही समझता था। जंगल के

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लालच बुरी बला

एक कंजूस व्यक्ति था जिसका नाम फकीरचंद था। एक दिन फकीरचंद नारियल खरीदने शहर गया। उसने नारियल वाले से नारियल के भाव पूछा तो नारियल

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