सैर

रविवार का दिन था। सबकी छुट्टी थी। आसमान साफ था और ठंडी-ठंडी हवा बह रही थी। सूरज की किरणें शहर के ऊपर बिखरी थीं। धूप

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क्रोध की अग्नि

बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ मे निर्णायक थी, मंडन मिश्र

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महाभारत की कथाएं

महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था|महाराज युधिष्ठिर राजा बन चुके थे| अपने चारों छोटे भाइयों की सहायता से वह राजकाज चला रहे थे प्रजा की

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लाल बहादुर शास्त्री जी की सादगी

बात उन दिनों की है, जब लाल बहादुर शास्त्री जी उत्तर प्रदेश के गृह मंत्री थे। बड़े पद पर पहुंच कर भी वह सादा जीवन

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हनुमान पुत्र मकरध्वज के मंदिर

हिंदू धर्म को मानने वाले यह बात बहुत अच्छी तरह से जानते हैं कि भगवान श्रीराम के परमभक्त व भगवान शंकर के ग्यारवें रुद्र अवतार

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बालक ध्रुव

बालक ध्रुव की कथा का वर्णन श्रीमद्भागवत में मिलता है। उसके अनुसार ध्रुव के पिता का नाम उत्तानपाद था। उनकी दो पत्नियां थीं, सुनीति और

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बाल कृष्णा द्वारा राक्षसों का वध

देवकी और वसुदेव के विवाह के समय आकाशवाणी हुई थी कि देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाली आठवीं संतान कंस का वध करेगी। इसके

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परमज्ञानी अष्टावक्र

प्राचीन काल में कहोड नामक एक ब्राह्मण थे। उनकी पत्नी का नाम सुजाता था। समय आने पर सुजाता गर्भवती हुई। एक दिन जब कहोड वेदपाठ

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निष्कलंक महादेव

गुजरात के भावनगर में कोलियाक तट से तीन किलोमीटर अंदर अरब सागर में स्तिथ है निष्कलंक महादेव। यहाँ पर अरब सागर की लहरें रोज़ शिवलिंगों

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शीतला माता मंदिर

राजस्थान के पाली जिले में हर साल, सैकड़ों साल पुराना इतिहास और चमत्कार दोहराया जाता है। शीतला माता के मंदिर में स्तिथ आधा फीट गहरा और इतना ही चौड़ा

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 मार्कण्डेय ऋषि

धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्कण्डेय ऋषि अमर हैं। आठ अमर लोगों में मार्कण्डेय ऋषि का भी नाम आता है। इनके पिता मर्कण्डु ऋषि थे। जब मर्कण्डु ऋषि

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एकलव्य का वध

महाभारत काल मेँ प्रयाग के तटवर्ती प्रदेश मेँ सुदूर तक फैला श्रृंगवेरपुर राज्य एकलव्य के पिता निषादराज हिरण्यधनु का था। गंगा के तट पर अवस्थित

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श्राई कोटि माता मंदिर

भारत में अनेकों ऐसे मंदिर है जो अपनी अनोखी परंपराओं के कारण प्रसिद्ध है। भारत में जहां किसी दंपती के एक साथ मंदिर में जाकर

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 शिव-पार्वती पुत्र था राक्षस अंधक

एक बार भगवान शिव और माता पार्वती घूमते हुए काशी पहुंच गए। वहां पर भगवान शिव अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर करके बैठे थे।

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शनि शिंगणापुर

देश में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर।

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