तोता और चोर

एक सेठ जी थे । वे अपना धन घर की तिजोरी में ही रखते थे । इस बात का पता चोरो को लग गया । पूरी तैयारी करके चोरो ने एक रात सेठ जी के आँगन में सेंध काटी और अंदर घुस आये । आँगन में सेठ जी का प्रिय तोता पिंजरे मे बंद था । उसने दो अपरिचित व्यक्तियों को देखा तो चौका । सेठानी ने उसे श्री कृष्ण भगवान् के अनेक नाम रटा रखे थे । जिन्हें वह एक के बाद एक बोल लेता था । इसके अलावा वह उठ जाग डंडा लाओ वह रहा , भी कह लेता था । तोता समझ गया कि ये दोनों भले आदमी नही है इसलिए पहले तो वह अपनी बोली में टे,टे करता रहा । जब उसका कोई प्रभाव नही पड़ा तो वह सेठानी द्वारा सिखाये भगवान् के नाम लेने लगा – गोविन्द , हरे कृष्ण , हरेकृष्ण मुरारी , मुरारी कन्हैया , राधेश्याम , उठ जग डंडा लाओ वह रहा । चोरो ने तोते को यह कहते सुना तो घबरा गए ।

उन्होंने सोचा इसके यहां बहुत सारे नौकर है अगर डंडा लेकर मारने लगे तो भाग भी न सकेंगे । इधर तोते की आवाज सुनकर सेठ जी स्वयं जाग गए । अंदर के कमरे की खिड़की से उन्होंने झाँक कर आँगन में देखा । चोर डर के मारे सेंध लगाए स्थान से भाग रहे थे और तोता गोविन्द -गोविन्द उठ जाग डंडा लाओ वह रटे जा रहा था । चोरो के भागते ही सेठ जी आँगन में आये तो तोते की सूझ -बूझ की तारीफ करने लगे घर वाले भी जाग गए सभी सोचने लगे कि तोते ने आज इनकी रक्षा कर ली ।

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