हनुमान बाल्यकाल में काफी नटखट थे। वह हंसी-खेल में ऋषि-मुनियों को खूब सताते थे। एक बार तो उन्होने सूर्य को अपने मुह में समा लिया था। हनुमान के नटखट व्यवहार से क्रुद्ध हो कर उन्हे एक महा तपस्वी ऋषि ने शाप दिया कि…
है उदण्ड नटखट बालक… तुम जिन दिव्य शक्तियों के प्रभाव से उधम मचाते फिर रहे हो उन चमत्कारी दिव्य शक्तियों को अभी के अभी भूल जाओगे।
बाल हनुमान की माता उस ऋषि से अपना शाप वापस लेने को प्रार्थना करती हैं। पर वह ऋषि ऐसा कहते हैं कि जब भी भविष्य में राम काज के लिए कोई व्यक्ति हनुमान को उनकी शक्तियों, और बाल्य काल की बातों को स्मरण कराएगा तब उसी वक्त हनुमान की शक्तियाँ उनके पास लौट आएंगी।
और आगे चल कर यही हुआ। सीता मैया को रावण की कैद से छुडाने के लिए प्रयत्न कर रहे श्री राम की मदद करते समय ही हनुमान जी को अपनी शक्तियों का स्मरण हो पाया था।
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