भगवान विष्णु के अवतार

हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु को पालनहार माना जाता है। भगवान विष्णु ने ब्रह्मा के पुत्र भृगु की पुत्र लक्ष्मी से विवाह किया था। हिन्दू धर्म के अनुसार विष्णु परमेश्वर के 3 मुख्य रूपों में से एक रूप है।

नाम : विष्‍णु
वर्णन : हाथ में शंख, गदा, चक्र, कमल
पत्नी : लक्ष्मी
पुत्र : आनंद, कर्दम, श्रीद, चिक्लीत
शस्त्र : सुदर्शन चक्र
वाहन : गरूड़
विष्णु पार्षद : जय, विजय
विष्णु संदेशवाहक : नारद
निवास : क्षीरसागर (हिन्द महासागर)
ग्रंथ : विष्णु ‍पुराण, भागवत पुराण, वराह पुराण, मत्स्य पुराण, कुर्म पुराण।
मंत्र : ॐ विष्णु नम:, ॐ नमो नारायण, हरि ॐ

प्रमुख अवतार
सनक, सनन्दन, सनातन, सनत्कुमार, हंसावतार, हयग्रीव, नील वराह, आदि वराह, श्वेत वराह, कुर्मा, मत्स्य, नर-नारायण, वामन, धन्वंतरि, मोहिनी, गजेन्द्रोधार, कपिल मुनि, दत्तात्रेय, पृथु, परशुराम, व्यास, ‍राम, कृष्ण और कल्की।

विष्णु के प्रकट अवतार

1. हंसावतार : सनकादि मुनियों के दार्शनिक प्रश्नों का समाधान करने के लिए विष्‍णु ने हंसावतार धारण किया था। उन्होंने मुनियों को वैदिक ज्ञान बताकर दीक्षा प्रदान की थी। हंस रूप विष्णु ने ही शांत नामक दैत्य का वध किया था

2 . आदि वराह अवतार : विष्णु ने कश्यप के पुत्र हिरण्याक्ष का वध करने के लिए वराह रूप धरा था।

3. नृसिंह अवतार : विष्णु ने कश्यप के पुत्र हिरण्यकशिपु का नृसिंह रूप धारण कर वध किया था।

4. मोहिनी अवतार : उन्होंने मोहिनी का रूप धारण कर असुरों से अमृत कलश को बचाकर देवताओं को दे दिया था।

5. जलंधर : विष्णु ने शिव पुत्र जलंधर का रूप धारण करके वृंदा का सतीत्व खंडित किया था।

6. मोहिनी अवतार : विष्णु ने भस्मासुर को मारने के लिए एक बार फिर उन्होंने मोहिनी रूप धारण किया।

7. कच्छप अवतार : समुद्र मंथन के दौरान जब धरती डोल रही थी, तब उन्होंने कच्छप रूप धारण किया।

8. धन्वंतरि : समुद्र मंथन के दौरान अंत में अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे विष्णु जिन्हें भगवान धन्वंतरि कहा गया। भगवान के इस देव रूप ने आयुर्वेद, वेद, आरोग्य, वनस्पति आदि की शिक्षा दी। उनके बाद राजा धन्व के पुत्र धन्वंतरि हुए जिनके केतुमान नामक पुत्र थे। केतुमान के पुत्र का नाम भीमरथ था। भीमरथ के पुत्र का नाम दिवीदास था। दिवीदास का संवरण था जिसने सुदास से युद्ध लड़ा था।

9. हयग्रीव अवतार : विष्णु ने हयग्रीव नामक सोमकासुर को मारने के लिए हयग्रीव का ही रूप धारण किया।

10. मत्स्य अवतार : प्रलयकाल के दौरान मत्स्य रूप धारण कर राजा वैवस्वत मनु को नाव बनाकर सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा।

11. गजेन्द्रोधारावतार : हाथी (इंद्रद्युम्न) को मगरमच्छ (हुहू) से बचाने के लिए गजेन्द्रोधारावतार धरण किया।

12. स्वायंभुव मनु के दो पुत्र प्रियवत और उत्तानपाद में से उत्तानपाद के पु‍त्र ध्रुव को विष्णु ने वरदान दिया था।

विष्णु जन्म अवतार का मतलब : भगवान विष्णु ने स्वयं धरती पर प्रत्यक्ष मनुष्य योनि में जन्म लेकर लोगों का उद्धार किया, तो कहीं-कहीं पर उन्होंने उस मनुष्य को शक्ति देकर अपना प्रतिनिधि अवतार बनाया अर्थात जहां साक्षात विष्णु तो नहीं थे लेकिन विष्णु की चेतना या अंश था।

विष्णु जन्म अवतार
1. सनकादि अवतार : विष्णु ने ब्रह्मा के पुत्रों सनक, सनंदन, सनातन, सनत्कुमार के रूप में जन्म लेकर वेद ज्ञान का प्रकाश फैलाया।

2. नर-नारायण : धर्म की पत्नी रुचि के गर्भ से भगवान विष्णु ने नर और नारायण नामक दो ऋषियों के रूप में जन्म लिया। वे जन्म से तपोमूर्ति थे अतः जन्म लेते ही बदरीवन में तपस्या करने के लिए चले गए। उनकी तपस्या से ही संसार में सुख और शांति का विस्तार होता है।

3. वामनावतार : कश्यप-अदिति के 12 पुत्रों में से एक त्रिविक्रम को भगवान विष्णु का अवतार माना गया जिन्होंने असुर राज बाली से तीन पग में धरती दान में ले ली थी। उन्हें वामन भी कहा गया।

4. परशुराम अवतार : क्रूर राजाओं से समाज को बचाने के लिए और समाज में फिर से वैदिक व्यवस्था लागू करने के लिए विष्णु ने जमदग्नि-रेणुका के पुत्र के रूप में जन्म लिया, जो आगे चलकर परशुराम कहलाए।

5. व्यास अवतार : परशुराम के बाद वेद व्यास के रूप में भगवान ने अवतार लेकर वैदिक ज्ञान का उद्धार किया। (ये वे वेद व्यास नहीं हैं, जो कृष्ण के काल में हुए थे)

5. रामावतार : रावण का वध करने के लिए दशरथ-कौशल्या के पुत्र के रूप में विष्णु ने जन्म लिया।

6. कृष्णावतार : वासुदेव-देवकी के यहां विष्णु ने कृष्ण के रूप में जन्म लेकर दुनिया को गीता का ज्ञान दिया।

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