दुखी जीवन

एक ग्रामीण चूहा था वह खेत मेँ रहता था। एक शहरी चूहा उसका दोस्त था। एक दिन ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे को खाने पर निमंत्रित किया। उसने अपने शहरी दोस्त चूहे को मीठे मीठे स्वादिस्ट बेर, मूंगफली, खीरा, गाजर, कंद मूल फल खाने को दीए। पर शहरी चूहे को गांव का सादा भोजन पसंद नहीँ आया उसने कहा-” भाई सच्ची बात तो यह है मुझे तुंहारा भोजन पसंद नहीँ आया। क्योकि यह बहुत ही घटिया किस्म का खाना है इसमेँ कोई स्वाद नही है। तुम मेरे घर चलो मैँ तुंहेँ एक अच्छा भोजन कर आऊंगा और अच्छा भोजन क्या होता है यह बताऊंगा।”

ग्रामीण चूहे ने उसका निमंत्रित स्वीकार कर लिया। एक दिन वह शहर गया उसके शहरी मित्र ने उसका बहुत सम्मान किया और उसने अपने मित्र को स्वादिस्ट अंजीर, खजूर, शहर बिस्कुट, मुरब्बा आदि खाने को दिया निसंदेह भोजन बहुत ही स्वादिष्ट था लेकिन वे दोनोँ चैन से भोजन नहीँ कर पाए। वहाँ बार बार एक बिल्ली आ जाती थी। तब चूहोँ को अपनी जान बचाकर भागना पड़ता था। शहरी चूहे का बिल भी बहुत छोटा था। ग्रामीण चूहा बोला-” भाई कितना दुखी जीवन है तुम्हारा ग्रामीण चूहे ने शहरी चूहे से कहा – “मैँ तो घर लौट जाता हूँ। वहाँ मैँ कम से कम शांतिपूर्ण खाना तो खा सकूँगा खेत पर अपने अपने स्थान पर वापस पहुंच कर ग्रामीण चूहे को बड़ी प्रसन्नता हुई।

सीख: शांति और निर्भयता मेँ ही सच्चा सुख है

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