स्वार्थ

नदी किनारे एक विशाल पेड़ था। उस पेड़ पर बगुलों का बहुत बड़ा झुंड रहता था। उसी पेड़ के कोटर में काला नाग रहता था। जब अंडों से बच्चे निकल आते और जब वह कुछ बड़े होकर मां-बाप से दूर रहने लगते, तभी वह नाग उन्हें खा जाता था। इस प्रकार वर्षों से काला नाग बगुलों के बच्चे हड़पता आ रहा था। बगुले भी वहां से जाने का नाम नहीं लेते थे, क्योंकि वहां नदी में कछुओं की भरमार थी। कछुओं का नरम मांस बगुलों को बहुत अच्छा लगता था।

इस बार नाग जब एक बच्चे को हड़पने लगा तो पिता बगुले की नजर उस पर पड़ गई। बगुले को पता लग गया कि उसके पहले बच्चों को भी वह नाग खाता रहा होगा। उसे बहुत शोक हुआ। उसे आंसू बहाते एक कछुए ने देखा और पूछा, ‘मामा, क्यों रो रहे हो?’

गम में जीव हर किसी के आगे अपना दुखड़ा रोने लगता है। उसने नाग और अपने मृत बच्चों के बारे में बताकर कहा, ‘मैं उससे बदला लेना चाहता हूं।’

कछुए ने सोचा, ‘अच्छा तो इस गम में मामा रो रहा है। जब यह हमारे बच्चे खा जाते हैं, तब तो कुछ ख्याल नहीं आता कि हमें कितना गम होता होगा। तुम सांप से बदला लेना चाहते हो तो हम भी तो तुमसे बदला लेना चाहेंगे।’

बगुला अपने शत्रु को अपना दुख बताकर गलती कर बैठा था। चतुर कछुआ एक तीर से दो शिकार मारने की योजना सोच चुका था। वह बोला, ‘मामा! मैं तुम्हें बदला लेने का बहुत अच्छा उपाय सुझाता हूं।’

बगुले ने अधीर स्वर में पूछा, ‘जल्दी बताओ, वह उपाय क्या है। मैं तुम्हारा अहसान जीवनभर नहीं भूलूंगा।’ कछुआ मन ही मन मुस्कुराया और उपाय बताने लगा, ‘यहां से कुछ दूर एक नेवले का बिल है। नेवला सांप का घोर शत्रु है। नेवले को मछलियां बहुत प्रिय होती हैं। तुम छोटी-छोटी मछलियां पकड़कर नेवले के बिल से सांप के कोटर तक बिछा दो, नेवला मछलियां खाता-खाता सांप तक पहुंच जाएगा और उसे समाप्त कर देगा।’ बगुला बोला, ‘तुम जरा मुझे उस नेवले का बिल दिखा दो।’

कछुए ने बगुले को नेवले का बिल दिखा दिया। बगुले ने वैसा ही किया, जैसा कछुए ने समझाया था। नेवला सचमुच मछलियां खाता हुआ कोटर तक पहुंचा। नेवले को देखते ही नाग ने फुफकार छोड़ी। कुछ ही देर की लड़ाई में नेवले ने सांप के टुकड़े-टुकड़े कर दिए।

गुला खुशी से उछल पड़ा। कछुए ने मन ही मन में कहा, ‘यह तो शुरुआत है मूर्ख बगुले। अब मेरा बदला शुरू होगा और तुम सब बगुलों का नाश होगा।’

कछुए का सोचना सही निकला। नेवला नाग को मारने के बाद वहां से नहीं गया। उसे अपने चारों ओर बगुले नजर आए, उसके लिए महीनों के लिए स्वादिष्ट खाना। नेवला उसी कोटर में बस गया, जिसमें नाग रहता था और रोज एक बगुले को अपना शिकार बनाने लगा। इस प्रकार एक-एक करके सारे बगुले मारे गए।

सीखः शत्रु की सलाह में उसका स्वार्थ छिपा होता है।

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