श्रीराम का जन्म

मां दुर्गा के प्रथम रुप शैलपुत्री की पूजा के साथ नवरात्र शुरु हो गया है। नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा के साथ ही साथ भगवान राम का भी ध्यान पूजन किया जाता है। क्योंकि इन्हीं नौ दिनों में भगवान राम ने रावण के साथ युद्घ करके दशहरे के दिन रावण का वध किया था जिसे अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में जाना जाता है।

यही कारण है कि नवरात्र के नौ दिनों में रामचरित मानस पाठ और रामलीला का आयोजन किया जाता है। आइये हम भी नवरात्र के नौ दिनों में रामलीला का एक नया रुप देखते हैं और रामयाण के कुछ अनोखे प्रसंगों की चर्चा करते हैं। इस क्रम में आइये सबसे पहले भगवान राम के जन्म से जुड़ी अद्भुत कथा को जानें।

रामायण में भगवान राम और उनके तीन भाईयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का उल्लेख तो कई जगह मिलता है लेकिन इनकी बहन भी थी इसका उल्लेख कम ही मिलता है। भागवत में भगवान राम के अवतार लेने के संदर्भ में इनकी बहन का जिक्र आया है।

राजा दशरथ और इनकी तीनों रानियां इस बात को लेकर चिंतित रहती हैं कि पुत्र नहीं होने पर उत्तराधिकारी कौन होगा। इनकी चिंता दूर करने के लिए ऋषि वशिष्ठ सलाह देते हैं कि आप अपने दामाद ऋंग ऋषि से पुत्रेष्ठी यज्ञ करवाएं। इससे पुत्र की प्राप्ति होगी।

ऋंग ऋषि का विवाह राजा दशरथ की इकलौती पुत्री शांता से हुआ था। राजा दशरथ ने अपनी पुत्री शांता को रोमपाद नामक के राजा को गोद दे दिया था। शांता के कहने पर ही ऋंग ऋषि राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठी यज्ञ करने के लिए तैयार हुए थे।

इसका कारण यह था कि यज्ञ कराने वाले का जीवन भर का पुण्य इस यज्ञ की आहुति में नष्ट हो जाता। राजा दशरथ ने ऋंग ऋषि को यज्ञ करवाने के बदले बहुत सा धन दिया जिससे इनके पुत्र और कन्या का भरण-पोषण हुआ और यज्ञ से प्राप्त खीर से राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। ऋंग ऋषि फिर से पुण्य अर्जित करने के लिए वन में जाकर तपस्या करने लगे।

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