राजा सोलोमन और शिबा की कहानी

राजा सोलोमन अपने ज्ञान के लिए जाना जाता था। शिबा की रानी उसके ज्ञान की परिक्षा लेना चाहती थी। एक दिन वह अपने दोनो हाथो में फूलो के दो हार लेकर राजा सोलोमन के दरबार में आई।
दोनो हार देखने में एक जैसे थे। पर उनमे एक हार असली फूलो का था। और दूसरा कागज का था। उसने राजा से कहा, “हे राजन!यह बताएं कि असली फूलो का हार कौन सा है? और नकली फूलो का हार कौन सा है?

आपको सिंहासन पर बैठे बैठे इस बात का निर्णय करना है।” राजा ने दोनो हारो को बडे़ ध्यान से देखा। दोनो एक जैसे दिखाई दे रहे थे। सिर्फ दूर से देखना असली नकली का निर्णय करना मुश्किल था। राजा सोच में पड़ गया आखिर उसे एक तरकीब सूझी। उसके राजमहल के एक ओर हरी भरी फुलवारी थी। उसने अपने एक सेवक को आदेश दिया, “वह बगीचे की ओर वाली खिड़की खोल दो।” खिड़की खुलते ही कुछ मधुमक्खिया अंदर आई। वे रानी के दाॅय हाथ पर मडराने लगी। यह देखते हुए राजा ने कहा, “रानी साहिबा मेरे बगीचे की मक्खियो ने आपके सवाल का जवाब दे दिया। आपके दाहिने हाथ का हार असली फूलो का बना है।”

रानी ने आदरपूर्वक राजा का अभिवादन किया। राजन आपने सही उत्तर दिया। मेरे दाहिने हाथ का हार ही असली फूलो का बना है। आप सचमुच बहुत ज्ञानी है।

जहाँ आँखे निणर्य लेने में असमर्थ हो वहाँ ज्ञान से काम लेना चाहिए।

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