तीन ठग

एक बार सबेरे सबेरे एक ब्राह्मण अपने साथ एक बकरी को ले जा रहे थे। तभी तीन ठगो की नज़र उस पंडित पर गयी। उन्होंने मिलकर एक प्लान बनाया जिससे उस पंडित से वह मोटी ताजी बकरी को पाया जा सके। उन ठगो के प्लान अनुसार पहला ठग पंडित के पास पंहुचा।
और बोला – “नमस्कार पंडित जी, इतनी सुबह सुबह लगता है कुत्ते को टहलने निकले है।”
पंडित जी बोले -“मुर्ख तुम्हे ये कुत्ता दीखता है। बकरी और कुत्ते में तुम्हे फर्क पता नही क्या?”
इतना कह कर पंडित जी आगे बढ़ गए और वह ठग भी चला गया। तभी पंडित जी के पास दूसरा ठग पंहुचा उसने पंडित जी से कहा –
” पंडित जी प्रणाम,सुबह सुबह ये गधे को कहा घुमाने ले जा रहे है। पंडित जी ने बकरी को धयान से देखा और बोले अरे भाई तुम बकरी को गधा कहते हो क्या तुम मुर्ख हो जो तुम्हे बकरी और गधे में अंतर नही पता।” इस पर वह ठग बोला -” पंडित जी मुझे तो लगता है आप ही मुर्ख हो गए है जो गधे को बकरी कह रहे है लगता है आप को बकरी और गधे का ज्ञान नही है।” पंडित जी गुस्से में लाल पिला होते हुए आगे चल दिए। कुछ ही दूर चले थे की तीसरा ठग उनके पास आया
और बोला -” पंडित जी आपकी तबियत तो ठीक है इतना अच्छा घोडा लिए है फिर भी पैदल चल रहे है।” पंडित जी कुछ न बोले और उन्होंने मन ही मन सोचा की लगता है ये bakri कोई चुडेल है जो कुछ कुछ देर में अपना रूप बदल लेती है अत पंडित जी ने घबराकर बकरी को वही छोड़ दिया और वहां से भाग खड़े हुए। ठगो को इसी अवसर का इंतजार था वे उस बकरी को अपने साथ ख़ुशी ख़ुशी ले आये।

सीख- लोगो की सुन कर अपनी धारणा को कभी नही बदलना चाहिए।

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