किसी नगर में एक व्यापारी अपने पुत्र के साथ रहता था | पुत्र के बड़े हो जाने के बाद पिता ने उसे सारा कारोबार संभला दिया लेकिन दुर्भाग्य से उसके पुत्र की सारी सम्पति समाप्त हो गयी | इसलिए उसने किसी दूसरे देश में जाकर व्यापार करने का सोचा |उसके पास एक भारी और मूल्यवान तराजू थी जिसका वजन बीस किलो था |
उसने तराजू को किसी सेठ के पास धरोहर रख दिया और व्यापार करने किसी दूसरे देश को चला गया काफी सालों बाद और कई देशो में घूमने के बाद वो खूब सारा धन कमाकर वापिस लौटा तो उसने उस सेठ से अपनी तराजू को वापिस माँगा | सेठ बेईमानी पर उतर आया और उसने जवाब दिया कि तुम्हारी तराजू को तो चूहे खा गये | इस पर उस लड़के ने बिना किसी शिकायत के कहा कि चलो सेठ जी कोई बात नहीं अब तराजू को चूहे कहा गये तो आप कर भी क्या सकते है | चलिए कोई बात नहीं मैं नदी पर नहाने जा रहा हूँ आप अपने पुत्र को साथ भेज देंगे तो अच्छा होगा क्योंकि मैं अकेला ही हूँ मेरे साथ जाने वाला कोई नहीं है | सेठ मन ही मन भयभीत था कि व्यापारी का पुत्र उस पर चोरी का आरोप न लगा दे इसलिए दबाव में आकर उसने अपने पुत्र को उसके साथ भेज दिया |
नदी में नहा चुकने के बाद उस व्यापारी के लड़के ने सेठ के पुत्र को किसी गहरी गुफा में छुपा दिया और अकेला लौट आया इस पर सेठ ने पूछा की मेरा पुत्र कन्हा है तो व्यापारी के पुत्र ने जवाब दिया कि उसे तो बाज उठा कर ले गया | इस पर सेठ गुस्से से आगबबूला हो गया और उस पर अपहरण का आरोप लगते हुए राजा के पास गये | राजा ने कहा कि इस सेठ का पुत्र कन्हा है तो उसने कहा कि उसे तो बाज ले गया | इस पर राजा ने व्यापारी के पुत्र से कहा ऐसा केसे हो सकता है इतने बड़े जवान लड़के को एक पक्षी केसे उठा के ले जा सकता है | व्यापारी के पुत्र ने कहा जब मेरा लोहे का तराजू चूहे खाकर पचा सकते है तो बाज भी तो किसी इन्सान को हवा में उड़ाकर ले जा सकता है | राजा को शक हुआ उसने पूरी बात पूछी तो सेठ ने अपना गुनाह कबूल किया और व्यापारी के पुत्र को तराजू मिल जाने के बाद सेठ को उसने उसका पुत्र लौटा दिया |
moral : किसी भी स्थिति में बेईमानी धारण नहीं करनी चाहिए क्योंकि अपना किया भुगतना पड़ता है |
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