दोस्तों,यह मेरे गांव तारापुर की एक दिलचस्प कहानी है । हमारा गांव शांति , एकजुटता और एकता जैसी कई विशेषताओं के लिए पूरे इलाके में एक मिसाल की तरह देखा जाता रहा है । गांव में दो उत्क्रष्ट व्यक्ति थे । दूधनाथ और रामफेर जी । ये दोनों पडोसी ही नहीं बल्कि ,बहुत अच्छे मित्र भी थे । आखिर एक ऐसा दुर्भाग्य दिन आया कि इन दोनों पक्के मित्रो में अनवन हो गई । मसला था किसानों की जान समझे जाने वाले खेत का । इनके मतभेद से पूरा गांव दो गुटों में बंट गया । एक खेमा रामफेर जी के साथ था तो दूसरा दूधनाथ जी की तरफ । रिस्ते ऐसे तल्ख़ हो गए कि लगा कि हम किसी शहर में जी रहे है , जहाँ पडोसी के चीख़ने -चिल्लाने की आवाज भी हमारे कानो तक नहीं पहुचती । वह दुश्मनी काफी लंबी खिंच गई । एक वार की बात है कि गांव के आसपास डकैती की कई वारदात होने की खबरें अखबारों में छपने लगी । गांव के लोग काफी डर गए और इस बजह से शाम को सन्नाटा छाने लगा | एक रात जब दूधनाथ चाचा किसी काम से गांव के बाहर गए हुए थे , तभी उनके घर में कुछ अनजान लोग घुसने की कोशिश करने लगे । दूधनाथ चाचा जी की बेटी काफी डर गयी और वह भागकर बगल में रामफेर चाचा के घर पहुँच गई | दुश्मनी भुलाकर की पत्नी ने उसे गले लगाकर उसका डर कम करने की कोशिश की । सारे गांव में शोर -गुल होने लगा । डाकू भाग गए । अगले दिन जब दूधनाथ चाचा आये तो इस घटना को सुनकर उनका ह्रदय कांप गया । उन्होंने तुरंत जाकर रामफेर को गले लगा लिया । इस तरह सारे शिकवे -गीले एक झटके में ही दूर हो गए और पूरे गांव में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी । गांव की एकता फिर से कायम हो गई थी। सबने पंचायत में बैठकर यह तय किया कि रात में टोली बनाकर पहरा किया जाएगा । सच है दोस्तों , हमें छोटी -छोटी बातो को लेकर आपसी रिश्ते नही बिगाड़ने चाहिए |
Share with us :
Motivational stoty
Motivational story