सूझबूझ से काम

एक शहर में एक धनवान स्त्री अकेले रहती थी उसके साथ केवल उसका कुत्ता रहता था जो उसे बहुत प्रिय था। उस स्त्री को अपनी फोटो बनबाने का बहुत शौक था। एक दिन उसने सोचा की एक प्रसिद्ध चित्रकार से अपना चित्र बनवाए यह सोच कर वह चित्रकार के पास गयी और एक सुन्दर सा चित्र बनवाया। कुछ दिन बाद जब चित्रकार ने उसे चित्र लेने के लिए बुलाया। वह स्त्री अपने कुत्ते के साथ चित्रकार के पास पहुंची चित्रकार ने उसे चित्र दिखया। स्त्री ने वह चित्र अनपे कुत्ते को दिखया और बोली-” टौमी , देखो तेरी मालकिन का चित्र कैसा है ये? पर उसके कुत्ते ने उस पर कोई प्रतिक्रिया नही की। जिसपर वह उस चित्रकार से बोली यह कैसा चित्र बनाया है मेरा कुत्ता भी मुझे नही पहचान रहा है। चित्रकार अमीरो की इस सनक से भली भाति परचित था। उसने कहा कोई बात नही मेडम आप कल आईयेगा में इसे इतना स्वभाविक रूप दे दूंगा की आपका कुत्ता इसे पहचान भी जायेगा और इसे चाटेगा भी। दूसरे दिन जब वह स्त्री अपने कुत्ते के साथ जब चित्रकार के पास पहुंची तो कुत्ते ने फोटो को देखा तो दम हिलाने लगा और भाग कर फोटो को चाटने लगा। यह देख वह स्त्री बहुत प्रसन हुई और उसने वह चित्र लेलिया। चित्रकार ने उसके चित्र के बदले में एक मोती रकम मांगी जिसे उस स्त्री ने आराम से दे दिया। उस स्त्री के जाने के बाद वह दुकान दार जोर से हँसा। दरसल उसने उस चित्र में कुछ भी नही बदला था सिर्फ एक मसालेदार गोस्त का टुकड़ा ले कर उसने उस फोटो पर रगड़ दिया था जिसकी बजह से कुत्ता दम भी हिल रहा था व उसे चाट भी रहा था।

सीख – अगर सूझबूझ से काम लिया जाये तो कैसे भी परिस्तिथि में बात को सुधरा जा सकता है।

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