नन्हा शेर

एक बहुत ही घना जंगल था जिसमे बहुत से पहाड़ और झरने थे | उसी जंगल में एक शेर का परिवार रहता है | शेर और शेरनी अपने बच्चो से बहुत प्यार करते थे | कभी कभी ही वो अपनेबच्चो को अपने साथ शिकार पर ले जाते थे बाकि दिनों वो उन्हें हमेशा ये कहके जाते कि गहरी गुफा मे ही रहना बहार मत निकलना क्योंकि अकेले बाहर निकलना तुम्हारे लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। जबकि बच्चो को बाहर घूमना बहुत पसन्द था इसलिए बड़े वाले बच्चे को अपने माता पिता की सलाह बिलकुल अच्छी नहीं लगती थी|

एक बार जब शेर और शेरनी शिकार पर गये हुए थे तो बड़े बच्चे ने छोटे बच्चे से कहा की चलो थोडा वन में घुमते है और उस झरने के पास पानी पीकर आते है तो छोटे ने मना कर दिया कि माता पिता ने मना किया है इसलिए मैं तो नहीं जाऊंगा उनके आने के बाद उनके साथ चल कर पानी पी लेंगे इस पर बड़े बच्चे ने कहा ऐसा कुछ नहीं है जंगल के जानवर तो वैसे भी हमसे डरते है और मुझे हिरन को डराना बहुत अच्छा लगता है तुम नहीं चल रहे ठीक है मैं अकेला ही चला जाता हूँ | बड़े बच्चे ने अपने माता पिता की सलाह को नहीं माना और जंगल में अकेले ही निकल गया। वह मस्ती मस्ती में जानवरों को डराते हुए अपनी गुफा से बहुत अधिक दूर निकल गया। तभी उसकी नज़र कुछ एस जानवरो पर पड़ी जिन्हे उसने पहले कभी नही देखा था। वह उन जानवरो को भी खुद से डरते देखना चाहता था। अत वह उनकी और चल दिया और उस दिन जंगल में शिकारी आये हुए थे। जिन्हे वह कोई साधारण जानवर समझ रहा था। जब उन शिकारियों की नज़र उस बच्चे पर पड़ी तो उन्होंने सोचा इसे किसी चिड़ियाघर में बेचने से अच्छे पेसे मिल जायेंगे तो उन्होंने उसे पकड़ने की कोशिश की अब शेर का बच्चा तो कुते जितना ही बड़ा हुआ था तो शिकारियों में उसे घेर लिया और उसे पकड़ लिया और बोरी में बांधकर उसे चिड़ियाघर जाकर बेच दिया |
अब वो शेर का बच्चा अपने माता पिता की बात नहीं मानने का फल भुगत रहा था लेकिन अब क्या किया जा सकता था अब वह केवल लोहे की सलाखों को नोचता और गुर्राता और अगर कोई उसकी भाषा समझ पाता तो उनसे यही कहता कि ‘अपने माता पिता की सलाह को हमेशा मानना चाहिए”

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